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अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का दिया आदेश

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दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) से जुड़े एक मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को तत्काल जेल से रिहा करने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) के इन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के दो दिन बाद अदालत ने यह आदेश दिया. इन्हें पिछले साल फरवरी में हिंसा से जुड़े एक मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था. इन्हें उनके पते और जमानतदारों से जुड़ी जानकारी पूर्ण ना होने का हवाला देते हुए समय पर जेल से रिहा नहीं किया गया था.

फरवरी 2020 में भड़क गई थी हिंसा

गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था. हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा करीब 200 लोग घायल हो गए थे. इन तीनों पर इनका मुख्य ‘‘साजिशकर्ता’’ होने का आरोप है.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस एजे भंभानी की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें कहा गया है कि जमानत संबंधी आदेश पारित होने के 36 घंटे बाद भी आरोपियों को जेल से रिहा नहीं किया गया है. हाईकोर्ट ने तीनों को जमानत देते हुए कहा था, ‘राज्य ने प्रदर्शन के अधिकार और आतंकी गतिविधि के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है तथा यदि इस तरह की मनोवृत्ति जारी रही तो यह ‘लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा.’

वहीं दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल हुए हिंसा से जुड़े मामलों में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.