25 फरवरी 2021 को भारत सरकार ने सोशल मीडिया, डिजिटल न्यूज मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए नए नियम जारी किए थे। इसका नाम था- इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021। इन नए नियमों की नई गाइडलाइंस जारी हुए तीन महीने हो चुके हैं। हम आज आपको यह बता रहे हैं कि इन तीन महीनों में ये नए नियम कितने प्रभावी रहे हैं? इसके अलावा यह भी बताएंगे कि अन्य प्रमुख देशों में ऑनलाइन कंटेंट को लेकर क्या नियम हैं?
1. सोशल मीडिया: नियम लागू करने के लिए कंपनियों को चाहिए ज्यादा वक्त
कौन से नए नियम बनाए गए?
अगर सोशल मीडिया पर किसी की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट की जाती है, तो शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा।
कोई अदालत या सरकारी संस्था किसी आपत्तिजनक, शरारती ट्वीट या मैसेज के फर्स्ट ओरिजिनेटर की जानकारी मांगती है, तो कंपनियों को देनी होगी।
कंपनियों को तीन महीने में चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर, नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन, रेसिडेंट ग्रिवांस ऑफिसर अपॉइंट करने होंगे। ये भारतीय नागरिक होंगे।
जो यूजर अपना वैरिफिकेशन चाहता हो, सोशल मीडिया कंपनियों को उसे इसकी व्यवस्था देनी होगी। जैसे ट्विटर वैरिफाइड अकाउंट को ब्लू टिक देता है।
3 महीने में क्या-क्या हुआ?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं, ‘अभी मुझे कंपनियों में कुछ होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। सोशल मीडिया कंपनियों के साथ 99% भारतीय कंपनियों पर भी यह रूल लागू होते हैं जिनके पास किसी भी तरह से थर्ड पार्टी का डेटा एक्सेस करने का अधिकार है, लेकिन कोई भी कंपनी अभी सरकार की गाइडलाइन को लेकर सचेत नजर नहीं आ रही है।’
ज्यादातर सोशल मीडिया कंपनियों ने नए नियमों को लागू करने के फैसले के लिए वक्त मांगा है। हालांकि भारतीय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म कू ने नए नियमों को लागू कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और साइबर कानून एक्सपर्ट विराग गुप्ता के मुताबिक, ‘जो कंपनियां भारतीय नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, नए नियमों की धारा 7 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इंटरमीडियरी नियमों को ना मानने वाली कंपनियों की लिस्ट बना कर जनता को सूचित करने के लिए उन कंपनियों के खिलाफ सरकार को अलर्ट नोटिस जारी करना चाहिए।’
2. डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्मः डि़जिटल मीडिया की सेल्फ रेगुलेशन बॉडी
कौन से नए नियम बनाए गए थे?
डिजिटल न्यूज मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के नॉर्म्स ऑफ जर्नलिस्टिक कंडक्ट और केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड का पालन करना होगा।
सरकार ने डिजिटल न्यूज मीडिया पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनाने को कहा है।
3 महीने में क्या-क्या हुआ?
पवन दुग्गल कहते हैं कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को लेकर ऐसी कोई सर्वमान्य सेल्फ रेगुलेशन बॉडी अभी मेरी जानकारी में नहीं आई है।
3. OTT प्लेटफॉर्मः कंटेंट से शिकायत पर सुनवाई की व्यवस्था
कौन से नए नियम बनाए गए थे?
OTT प्लेटफॉर्म्स को पांच कैटेगरी में कंटेंट को बांटना होगा। उसे हर कैटेगरी के कंटेंट पर दिखाना होगा कि वह किस उम्र वाले लोगों के लिए है।
OTT प्लेटफॉर्म से शिकायत है तो तीन स्तर पर सुनवाई होगी। पहले ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर, फिर सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी, सरकार का ओवरसाट मैकेनिज्म जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय बनाएगा।
3 महीने बाद मौजूदा स्थिति
वरिष्ठ फिल्म पत्रकार व फिल्ममेकर रवि बुले कहते हैं कि अमेजन प्राइम वीडियो, डिज्नी हॉटस्टार समेत ज्यादातर OTT प्लेटफॉर्म्स ने यह नियम लागू कर रखा है। इससे दर्शक को पता होता है कि वह किस तरह का कंटेंट देखने जा रहा है, लेकिन ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर की नियुक्ति और सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी वाली बातें अभी सुनाई नहीं पड़ी हैं। इसकी वजह लॉकडाउन भी हो सकता है, क्योंकि नई नियुक्तियां और ऐसे काम जिनमें दस्तावेजीकरण शामिल हैं वो अभी मुंबई में बुरी तरह से प्रभावित हैं।
आइए, अब जानते हैं कि दुनिया के अन्य प्रमुख देशों में ऑनलाइन कंटेंट रेगुलेशन के क्या नियम हैं…
सिंगापुर
सिंगापुर में इंफोकॉम मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (IMDA) नाम की एक संस्था है जो सर्विस प्रोवाइडर्स को जरूरी लाइसेंस देती है। वहां सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अपने कंटेंट की रेटिंग्स देना जरूरी है। मसलन इसे किस आयु वर्ग के लोग देख सकते हैं। इसके अलावा ये संस्था प्रतिबंधित कंटेंट की एक विस्तृत लिस्ट जारी करती है। अगर नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो IMDA कंटेंट को हटा सकता है और प्लेटफॉर्म पर जुर्माना लगा सकता है।
अमेरिका
2019 में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कंटेंट पर नजर रखने के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन यूएस फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने कहा कि प्रस्तावित रेगुलेशन अनावश्यक और भारी-भरकम थे। कमीशन ने ऑनलाइन कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए ज्यादा प्रैक्टिकल नियमों को पेश करने की मांग की। फिलहाल अमेरिका में इस मुद्दे पर डिबेट जारी है।
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया की ट्रेडिशनल मीडिया के लिए ऑस्ट्रेलियाई कम्युनिकेशन और मीडिया अथॉरिटी है। इसमें डिजिटल मीडिया के लिए एक ‘ई-सेफ्टी कमिश्नर’ हैं। ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज एक्ट, 1992 के तहत कंटेंट रेगुलेट किया जाता है। इस एक्ट में गाइडलाइन, शिकायत और प्रतिबंधित कंटेंट से जुड़ी जानकारी विस्तार से दी गई है।
यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन यूनियन में फिलहाल कोई रेगुलेशन नहीं है, लेकिन अवैध ऑनलाइन कंटेंट से निपटने के लिए कुछ सिफारिशें की गई है। यूरोपियन यूनियन ने ‘इंटरनेट पर अवैध और हानिकारक कंटेंट’ नाम से पेपर पेश किया है, जिसमें ऐसे कंटेंट की सूची तैयार की गई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। इसके अलावा नाबालिगों को प्रभावित करने वाले कंटेंट को भी सूचीबद्ध किया गया है। सिफारिश की गई है कि ऐसे कंटेंट की जांच की जानी चाहिए।
सऊदी अरब
सऊदी अरब में ऑनलाइन कंटेंट पर अपेक्षाकृत ज्यादा कंट्रोल है। 1 जनवरी 2019 को नेटफ्लिक्स को एक कॉमेडी शो पैट्रियट एक्ट का एक एपिसोड निकालने के लिए मजबूर कर दिया गया था। इसमें सउदी अरब के क्राउन प्रिंस की आलोचना की गई थी। सउदी अरब के अधिकारियों ने कहा कि शो ने उनके एंटी-साइबर लॉ का उल्लंघन किया है। इसी नियम के दायरे में वहां सभी डिजिटल कंटेंट को रेगुलेट किया जाता है।
चीन
चीन में अमेजन प्राइम और नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा हुआ है। उनकी जगह टेनसेंट और यूकू जैसे लोकल प्लेटफॉर्म्स का दबदबा है। चीन का नेशनल रेडियो और टेलीविजन प्रशासन विदेशी केंटेंट को रेगुलेट करता है। चीन में गूगल, फेसबुक और ट्विटर पर भी बैन लगा हुआ है। इनकी जगह पर लोकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं।