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उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के मुद्दे पर चीन बदल रहा है पैंतरा, बचाव के लिए बदल रहा दावे

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चीन (China) के उत्तरपश्चिम में शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र (XUAR) में चीनी अत्याचारों की भयावहता हर रोज बढ़ रही है. इसके जवाब में, चीन उइगरों के बड़े पैमाने पर नजरबंदी के बारे में लगातार अपने बयान बदल रहा है. संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों का अनुमान है कि कम से कम दस लाख मुसलमानों को कन्संट्रेशन कैंप्स में रखा गया है. इन कैंप्स के बारे में चीन का कहना है कि यह सभी ‘व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र’ हैं. कैंप्स में रखे गए लोगों का आंकड़ा वयस्क मुस्लिम आबादी के 10 प्रतिशत के बराबर है.

बीजिंग अब मानवाधिकारों के हनन पर पश्चिमी दबाव महसूस कर रहा है. चीन आरोपों का खंडन करने और आलोचनाओं को अनसनुना करने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है. इसी साल जनवरी में अमेरिका ने चीन पर नरसंहार का आरोप लगाया था.जिसके बाद अन्य राजनयिक दबाव भी शुरू हो गए.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने क्या किया था दावा?
बीते साल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese Xi Jinping) ने इशारों में कहा था कि शिंजियांग के पश्चिमी इलाके में रहने वाले सभी जातीय समूहों का लगातार विकास चल रहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार इस इलाके के लोगों को सही शिक्षा देती रहेगी. शिंजियांग में यहां 80 लाख तक उइगर मुसलमानों को शिक्षित और सभ्य बनाने के नाम पर डिटेंशन कैंपों में अमानवीय तरीकों से रखने की खबर सामने आ चुकी हैं. चीन में मस्जिदों को तोड़कर टॉयलेट बनाने की भी कई खबरें सामने आ चुकी हैं.
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी शुरू के डेढ़ वर्षों तक इन कंसंट्रेशन कैंप्स को छिपाए हुई थी. हालांकि खबरों के सामने आने के बाद भी इसका रवैया नहीं बदला और चीन ने ऐसे किसी कैंप का अस्तित्व ही खारिज कर दिया. जब इन कैंप्स के खिलाफ सबूत आने लगे तो चीन ने अपना सुर एक बार फिर बदला. सबूतों के बाहर आने पर चीन ने कैंप्स को ट्रेनिंग सेंटर बताया. उसने दावा किया कि वह पिछड़े उइगर लोगों को नौकरियां देने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है.

दुर्व्यवहार को लेकर इतनी रिपोर्टें कैसे आईं
चीन के दावों यकीन भी करें तो अगर इन व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूलों में उइगर अगर कथित स्वेच्छा से हिस्सा लेते थे तो अत्याचार और दुर्व्यवहार को लेकर इतनी रिपोर्टें कैसे आईं?

मार्च 2019 शिनजियांग सरकार के अध्यक्ष शोहरात ज़ाकिर ने कहा, ‘आम तौर पर, इन केंद्रों पर हमारे पास आने वाले समय में कम लोग होंगे. और जब एक दिन समाज को उनकी ज़रूरत नहीं है, तो ये प्रशिक्षण केंद्र धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे.’ हालांकि जाकिर की टिप्पणी भी कई सवालों के घेरे में है. अगर ‘व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र’ उइगरों को शिक्षित करने के क्रम में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, तो उन्हें बंद क्यों किया जाएगा?

आलोचनाओं और दबावों के बाद चीन का दावा है कि ये कैंप्स अस्थायी थे. माना जा रहा है कि तमाम रिपोर्ट्स और दबाव के बाद चीन ने कई कैंप्स को छिपा लिया होगा, लेकिन इस बात की कतई उम्मीद नहीं है कि सारे के सारे कैंप्स बंद हो गए होंगे. चीन इन कैंपों के जरिए अपने नागरिकों को डरा धमका रहा है.