पाकिस्तान (Pakistan) द्वारा कपास और चीनी के आयात को लेकर यू-टर्न (U-Turn) लेने पर भारत ने दो-टूक जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि पाकिस्तान के इस फैसले का जवाब भारत नहीं दे सकता है. दरअसल उनसे सवाल पूछा गया था कि पाकिस्तान व्यापार के मसले पर हां-ना क्यों कर रहा है. इस पर अरिंदम बागची ने टका सा जवाब दिया है. उन्होंने साफ कर दिया कि पाकिस्तान अपने फैसले की वजहें खुद जानता होगा.
दरअसल पाकिस्तानी कैबिनेट के फैसले में कपास के आयात के फैसले पर रोक लगाने का निर्णय हुआ है. इससे पहले पाकिस्तान की कैबिनेट आर्थिक समन्वय समिति ने बुधवार को भारत के साथ व्यापार को फिर से शुरू करने को मंजूरी दे दी थी. समिति ने कहा था कि पाकिस्तान 30 जून 2021 से भारत से कॉटन का आयात करेगा. पाकिस्तान सरकार ने निजी क्षेत्र को भारत से चीनी के आयात को भी मंजूरी दे दी थी.
2016 में भारत से कॉटन और अन्य कृषि उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी
बता दें, पाकिस्तान ने वर्ष 2016 में भारत से कॉटन और अन्य कृषि उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में चीनी की बढ़ती कीमतों और संकटों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए इमरान सरकार ने भारत के साथ व्यापार की फिर से शुरुआत करने को मंजूरी दी थी. दोनों देशों में तनावपूर्ण रिश्तों के बीच यह पाकिस्तान का भारत के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में पहला बड़ा प्रयास माना जा रहा था.
पाकिस्तान को महंगा पड़ सकता है फैसला
लेकिन कहा जा रहा है कि ये फैसला पाकिस्तान को महंगा पड़ सकता है. दरअसल भारत से चीनी और कपास के आयात पर फैसले को पलटने को लेकर पाकिस्तान में दो फाड़ हो चुका है. इस यू-टर्न पर ना सिर्फ इमरान खान सरकार की आलोचना हो रही है, बल्कि टेक्सटाइल सेक्टर इसका भारी विरोध कर रहा है. पाकिस्तान में टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने इमरान खान के इस फैसले को निराशाजनक बताया है और कहा कि इससे हमारा कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.
पाकिस्तानी अखबर डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान परिधान (कपड़े) मंच के अध्यक्ष जावेद बिलवानी ने गुरुवार को कहा कि संघीय कैबिनेट के फैसले ने कपड़ा निर्यात उद्योग को निराश किया है. उन्होंने वाणिज्य सलाहकार अब्दुल रजाक दाऊद की सिफारिश को भारत से सूती धागे के आयात को यथार्थवादी और समय की जरूरत बताया. उन्होंने कहा कि भारत से कपास का आयात करना पाकिस्तान और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के हित में था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को भारत से कपास के आयात के मसले पर फिर से गंभीर विचार करना चाहिए.