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म्यांमार में क्यों हिंसक हुई सेना? जानें देश में तख्तापलट के बाद क्या हैं हालात

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1 फरवरी 2021 को म्यांमार में सेना ने तख्तापलट (Coup) किया और देश पर शासन करना शुरू कर दिया. सैन्य तख्तापलट के नेता मिन ऑन्ग लैंग (Gen. Min Aung Hlaing) ने नेता ऑन्ग सान सू की (Aung San Suu Kyi) समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया. इस तख्तापलट का देश की जनता ने विरोध किया. लैंग के आदेश पर सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक प्रतिक्रिया दी. देशभर में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाईं गईं. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के मानवाधिकार कार्यालय का डेटा बताता है कि तख्तापलट के बाद से लेकर अब तक बच्चों समेत तक कम से कम 138 लोग मारे जा चुके हैं.

के अलावा 2100 से ज्यादा पत्रकार, प्रदर्शकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, सरकारी अधिकारी, यूनियन नेता, लेखक, छात्रों और आम लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है. इस पूरे घटनाक्रम को 1 महीने से ज्यादा समय गुजर चुका है. समझते हैं कि आखिर म्यांमार में तख्तापलट क्यों हुआ? सू की कहां हैं? और राष्ट्र के मौजूदा हालात क्या हैं?

तख्तापलट के पीछे सेना का मकसद क्या है?
म्यांमार में बीते साल नवंबर में आम चुनाव हुए थे. इस चुनाव में सू की की पार्टी को विजय हासिल हुई थी. सेना ने आरोप लगाए थे कि इस चुनाव में बड़े स्तर पर धांधली हुई है. साथ ही चुनाव आयोग से सार्वजनिक तौर पर अंतिम डेटा सार्वजनिक करने को कहा था. हालांकि, आयोग ने इन सभी दावों को खारिज किया था. विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह से सत्ता हासिल करने की वजह चुनाव में अनियमितता नहीं थी, बल्कि देश को नियंत्रित करने की थी.

म्यांमार में क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?
प्रदर्शनकारी सेना के स्थान पर जनता के हाथ में नियंत्रण देने की मांग कर रहे हैं. साथ ही वे सू की और अन्य नेताओं की रिहाई चाहते हैं. अपनी जमीन की स्वायत्ता के लिए लंबा संघर्ष करने वाले देश के कई अल्पसंख्यक समुदाय 2008 में सेना के लिखे संविधान को हटाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि लोकतंत्र स्थापित हो. इन प्रदर्शनों में युवा बड़े स्तर पर भाग ले रहे हैं. हालांकि, हड़ताल के चलते कई आम सेवाएं खासी प्रभावित हुईं हैं.

सेना कैसे इसपर प्रतिक्रिया दे रही है?
हाल ही के कुछ हफ्तों में सेना प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देने लगी है. एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि सेना शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर ऐसे हथियारों का इस्तेमाल कर रही है, जो आमतौर पर युद्धभूमि में दिखाई पड़ते हैं. सुरक्षा बल घर-घर पहुंचकर लोगों के यहां छापे मार रहे हैं. लोगों को उनके घरों से बाहर निकाला जा रहा है. कई नागरिकों को परिवार और दोस्तों से दूर कर हिरासत में ले लिया है. ऐसे कई लोग हैं, जिनके ठिकानों के बारे में किसी को नहीं पता.

ऑन्ग सान सू की के साथ क्या हुआ?
ऑन्ग सान सू ने दशकों तक सेना के शासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. उन्हें 15 साल तक घर में कैद रखा गया. सेना ने सू की पर घूसखोरी और भ्रष्टाचार समेत कई आरोप लगाए हैं. सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जॉ मिन तुन ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा था कि सू की ने सत्ता में रहते हुए गोल्ड के साथ-साथ 6 लाख डॉलर की अवैध रकम हासिल करने की बात स्वीकारी है. हालांकि, उनके वकील ने सभी आरोपों को खारिज किया है. हिरासत में लिए जाने के बाद किसी ने भी सू की को नहीं देखा.

संयुक्त राष्ट्र मामले पर क्या कर रहा है?
प्रदर्शनकारियों, नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मामले में दखल देने की अपील की है. अमेरिका और ब्रिटेन ने सेना के अधिकारियों पर पाबंदियां लगा दी हैं. बीते हफ्ते यूएन सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों ने तख्तापलट के बाद सबसे कड़े बयान का समर्थन किया था. जिसमें कहा गया था कि ‘प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं.’ साथ ही सेना को संयम बरतने की सलाह दी थी. म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार के दूर एंड्रयू ने सदस्यों से मिलिट्री जुंटा को वैध सरकार नहीं मानने का आग्रह किया है. इसके अलावा उन्होंने जुंटा तक राजस्व और हथियारों की आवक को बंद करने के लिए कहा है.