प्रदेश में बीते दिनों हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से बागवानी फसलों के नुकसान पर किसान बीमा कम्पनियों से दावा कर सकते हैं। इस के लिए उद्यानिकी संचालनालय द्वारा हेल्पलाइन नम्बर जारी किया गया है।
ज्ञात हो कि विगत दो-तीन दिवसों में राज्य के विभिन्न जिलों में असामयिक वर्षा एवं ओलावृष्टि के होने से उद्यानिकी फसलों को क्षति हुई है। उल्लेखनीय है कि राज्य में उद्यानिकी फसलों के लिये पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू है। इस योजना के अंतर्गत वर्तमान अवधि में कवर होने वाले अधिसूचित उद्यानिकी फसलों केला, पपीता, मिर्च, टमाटर, बैगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, प्याज एवं आलू में बेमौसम वर्षा एवं ओलावृष्टि से होने वाली क्षति के लिये क्षति पूर्ति दिये जाने का प्रावधान है।
राज्य में उद्यानिकी फसलों के बीमा हेतु मेसर्स बजाज एलायंस जनरल इंश्युरेंस कंपनी को अधिकृत किया गया है। अतः अधिसूचित उद्यानिकी फसलों का उत्पादन करने वाले ऐसे कृषक, जिनके द्वारा अपनी फसल का बीमा कराया गया हो, तथा उनकी फसलों को ओलावृष्टि से नुकसान हुआ हो तो वे 72 घण्टों के भीतर बीमा कंपनी को उनके टोल फ्री नंबर 1800-209-5858 पर सूचित करें। क्षति की सूचना कृषक अपने संबंधित बैंक, स्थानीय उद्यानिकी विभागध्जिला अधिकारी को भी दे सकते हैं।
कृषक द्वारा सूचित किये जाने पर विभाग द्वारा 48 घण्टे के भीतर बीमित फसल के ब्यौरे, क्षति की मात्रा तथा क्षति के कारण सहित बीमा कंपनी को सूचित किया जावेगा। हानि संबंधी सूचना मिलने पर बीमा कंपनी द्वारा क्षेत्र में फसल की हानि का अनुमान लगाने के लिये 48 घण्टे के भीतर हानि निर्धारक की नियुक्ति कर 10 दिवस के भीतर क्षतिपूर्ति निर्धारित किया जावेगा। जिला स्तर पर पदस्थ विकासखण्ड स्तरीय उद्यानिकीध्राजस्व विभाग के अधिकारी फसल क्षति का अनुमान लगाने में उपयुक्त सहायक करेंगे। बीमा कंपनी द्वारा क्षति आंकलन करने के 15 दिवस के भीतर क्षति पूर्ति राशि का भुगतान बीमित कृषकों को किया जावेगा।
अतः अधिसूचित उद्यानिकी फसलों का उत्पादन कर रहे कृषकों को सलाह दी जाती है कि यदि उनके द्वारा अपनी फसल का बीमा कराया गया है तथा ओलावृष्टि से उनके फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं तो वे तत्काल इसकी सूचना बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर 1800-209-5858 पर देवें अथवा अपने संबंधित बैंक, स्थानीय उद्यानिकी विभागध्जिला अधिकारी को लिखित रूप से क्षति से संबंधित जानकारी देवें, जिससे कि उन्हें क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान हेतु आवश्यक कार्यवाही की जा सके।