मेहरानगढ दुर्ग भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। पन्द्रहवी शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से 125 मीटर ऊँचाई पर स्थित है और आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है। बाहर से अदृश्य, घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि। इन महलों में भारतीय राजवेशों के साज सामान का विस्मयकारी संग्रह निहित है।
दोस्तों यदि भारतीय इतिहास को खोल कर देखा जाए तो कहीं राजा महाराजाओं ने जन्म लिया है लेकिन आज हम आप लोगों को भारत की एक ऐसी खूबसूरत रानी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी भी अपने केले से बाहर नहीं निकली थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रानी राजकुमार काफी ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक मानी जाती थी जो कभी भी जोधपुर के किले मेहरानगढ़ से बाहर नहीं निकली थी।
बता दे बचपन से ही रानी राजकुमार काफी ज्यादा खूबसूरत और धार्मिक प्रवृत्ति की नारी थी और वह धार्मिक शक्तियों पर काफी ज्यादा विश्वास रखती थी उनकी सुंदरता के चर्चे पूरे जामनगर में प्रसिद्ध थे इसलिए सिर्फ 9 साल की आयु में ही उस खूबसूरत स्त्री का विवाह जोधपुर के राजकुमार जसवंत सिंह के साथ कर दिया गया था। बता दे राजकुमारी धार्मिक प्रवृत्ति की थी इसलिए उसने भगवान से कोई विशेष मनोकामना मांग रखी थी।
कहा जाता है कि इसलिए वह कभी भी अपने जीवन में दुर्ग से बाहर नहीं निकली थी राज कुंवर भगवान श्री कृष्ण को हर साल डेढ़ लाख तुलसी पत्तों का अभिषेक करवाने के लिए वृंदावन जाया करती थी। जब उस खूबसूरत रानी की उम्र ज्यादा हो गई तब उनके पति ने मेहरानगढ़ के किले के पीछे एक भगवान श्री कृष्ण का भव्य मंदिर बनवा दिया था।
जोधपुर में आज भी वह मंदिर मौजूद है इसे जमीन से लगभग 25 फुट पर निर्माण करवाया गया था जिसका मुख्य कारण यह था कि रानी किले से ही भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर सके और जोधपुर में आज भी यह मंदिर राज रणछोड़ के नाम से मौजूद है।