फैशन जगत के सितारों का बालों का रंग रूप पल-पल बदलता रहता है. रंग-बिरंगा, अलग-अलग स्टाइल के. कमाल है विग और हेयर एक्सटेंशन्स का. सेलिब्रिटीज के बीच प्रचलित इन सतरंगी बालों का सफ़र बहुत लम्बा होता है. जो शुरू होता है, किसी इंसान के सर से ही! इन्ही बालों से महंगी कीमतों में बिकने वाले, विग और एक्सटेंशन्स बनाए जाते है. जो विदेशों से एक्सपोर्ट करवाए जाते हैं. और इंसानी बालों का मार्केट बहुत बड़ा है. समझिए इंसानी बालों के मार्केट की पूरी एबीसीडी.
मंदिरों में बालों के लिए लगती है बोली
भारत बालों का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है. लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था. 20 साल पहले भारत बालों का इतना बड़ा बाज़ार नहीं था. बड़े-बड़े मंदिरों में लाखों लोग श्रद्धा के नाम पर बाल दान देकर जाते थे. और ये बाल गद्दे भरने के काम में आते थे. डेनियल वर्कमैन की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ऐसी है इंटरनेशनल मार्केट-
जब फैशन जगत में मांग बढ़ी तो हेयर मार्केट उपजने लगा. जिसके बाद मंदिरों में मिलने वाले बाल ऊंचे-ऊंचे दामों में विक्रेताओं और कंपनियों को बिकने लगे. बाल का कारोबार करने वालों के मुताबिक तिरुपति वेंकटेश्वर जैसे बड़े मदिरों से उन्हें एक महीने में लगभग 10 टन तक बाल मिल जाते हैं.
छोटे बाल फैक्ट्री को बेच दिए जाते हैं. लंबे और सुंदर बाल जिनकी कीमत 1 लाख रूपये प्रति किलो तक होती है. इससे मंदिर को हर साल 150 से 300 करोड़ रुपयों की कमाई होती है. मंदिरों में बालों के लिए बोली भी लगती है. जिसका दाम सबसे उंचा, बाल उसके. मुनाफे का 10 प्रतिशत हिस्सा नीलामी से ही आता है.
और कहां से आते हैं बाल?
मंदिरों के बाद जहां से सबसे ज्यादा बाल आते हैं वो हैं सलॉन. लेकिन इनसे आने वाले बालों का दाम कुछ कम होता है. क्योंकि इनकी क्वॉलिटी और साइज़ अलग होते हैं. आपको गलियों में भी बाल खरीदने वाले लोग घूमते-फिरते दिख जाएंगे. जो घरों से ही किलो के भाव में बाल खरीदते हैं. घर-घर से बाल इकठ्ठा करने वाले लोगों को बड़े कारोबारी काम पर लगाते हैं. ये लोग मुश्किल से 10-12 दिन में 1 किलो तक बाल जमा कर पाते हैं. इसके बदले में उन्हें छोटी-मोटी रकम दी जाती है.
चेन्नई के कुछ बिचौलिए 2500 रूपये प्रति किलो की दर से बाल विक्रेताओं को बेचते हैं. और जो महिलाएं इन बिचौलियों को बाल बेचती हैं, उन्हें 1 ग्राम के लिए सिर्फ 1 रूपए तक मिलते हैं. लेकिन बड़े-बड़े स्टोर्स तक आते-आते इन बालों की कीमत 100 गुना तक बढ़ जाती है. 2017-18 में भारत के कई इलाकों में महिलाओं के चोटी कटने के मामले सामने आए थे. इस तरह की वारदात से जुड़े लोग गैर-कानूनी रूप से डीलरों से जुड़े होते है. उनसे लम्बे बालों की मोटी रकम ऐंठते है.
भारत के बाहर महिलाएं पैसों के लिए भी अपने बाल बेचती हैं. 5-6 महीनों तक बाल बढ़ाकर रखने के बाद वे इसे मुंह मांगी कीमतों पर बेच देती हैं. इन बालों की कीमत लगभग 7000 रुपयों तक लगती है. नालियों, कचरे या किसी सामूहिक इलाकों से भी बाल इकठ्ठा किए जाते हैं.
मंदिरों, घरों से निकलकर ये सबसे पहले पहुंचते हैं कारखानों में. यहां बालों को चिकना और चमकदार बनाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. अलग-अलग क्वॉलिटी और रंग के बालों को अलग किया जाता है. इसके बाद इसे दूसरे देशों में भेज दिया जाता है. बालों की क्वॉलिटी के हिसाब से इनका दाम तय होता है. बाज़ार में बहुत अच्छी क्वॉलिटी के बालों की कीमत 7 हज़ार से 21 हज़ार प्रति किलो तक है. उस पर भी अगर बाल अच्छे-खासे लम्बे हों तो सोने पे सुहागा.
कितना बड़ा है मार्केट?
असल दिखने वाले विग और एक्सटेंशन्स की मांग दिन-ब-दिन बढ़ने की वजह से ही विश्व में इंसानी बालों की सप्लाई 40% तक बढ़ गई है. इंसानी बालों के कारोबार में हुई इस तेज बढ़ोतरी का सीधा श्रेय जाता है फैशन इंडस्ट्री और हाई क्लास सोसायटी यानी अमीर लोगों को. जिनके बीच विग और हेयर एक्सटेंशन्स खासे पॉपुलर हैं.
सेलिब्रिटीज अपनी हेयर स्टाइल के साथ काफी एक्सपेरिमेंट्स करते रहते हैं. इन्हीं के नक़्शे कदम पर अमीर लोगों का फैशन सेंस भी चल पड़ा है. रेड कारपेट इसका जीता जागता उदाहरण है. पूरी दुनिया में इंसानी बालों का कुल कारोबार 22,500 करोड़ रुपयों का है. हेयर प्रोडक्ट्स की नामी कंपनी Nielsen की रिपोर्ट के मुताबिक ये कारोबार हर साल लगभग 10 फीसद की दर से बढ़ रहा है. आंकड़े कहते हैं, 2023 तक ये कारोबार 75,000 करोड़ का हो जाएगा.
2018 में अकेले भारत ने 250 करोड़ रुपयों का बालों का कारोबार किया. ये दुनिया के कुल एक्सपोर्ट का लगभग आधा है. 2014 से लेकर अब तक इस कारोबार में लगभग 40 फीसद इज़ाफा हुआ है. स्टैटिस्टा एस्टीमेट्स के मुताबिक, दुनियाभर में बालों की मार्केट वैल्यू कुछ ऐसी रहेगी-
छोटे और रफ़ बालों का इस्तेमाल सॉफ्ट टॉय, गद्दे, कपड़े, खाद और दवा वगैरह बनाने में किया जाता है. सबसे ज्यादा बाल खरीदने वाले देशों में चीन का नाम सबसे ऊपर है. यहां विग और एक्सटेंशन्स बनाने के सबसे ज्यादा कारखाने हैं. चीन के बाद अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के देशों का नाम इंसानी बाल खरीदने वाले देशों की लिस्ट में आता है. 2017 में इंसानी बालों का ग्लोबल कारोबार 900 करोड़ रुपयों का था. इसमें से एशिया से 515 करोड़ का कारोबार हुआ. लगभग ग्लोबल ट्रेड का 60 फीसद.
आपके बाल कहां गए होंगे, जो पिछली बार कटवाए थे?
इसका अंदाजा आप अपने बालो की क्वालिटी से लगाइए. मार्केट में अमूमन 3 तरह के बाल उपयोग में आते हैं:
1. रेमी हेयर- ऐसे बालों का गुच्छा समान लम्बाई का होता है. सारे बाल एक ही दिशा में बढे होते हैं. इनसे बनने वाली विग सबसे महंगी और अच्छी क्वालिटी की होती है. इससे बनी विग्स एक साल से ज्यादा समय के लिए चल सकती है.
2. दूसरी तरह के बाल सीधे कंघियों, या सलून से लिए जाते हैं. इसलिए बाल अलग-अलग लम्बाई, रंग के होते हैं. इस्तेमाल में लाने से पहले इन्हें एसिड बाथ करवाया जाता है. बालों की रंगाई होती है.
3. वर्जिन हेयर- ये बाल सबसे अच्छी क्वालिटी के माने जाते हैं. इनपर किसी भी तरह के केमिकल का उपयोग नही हुआ होता है. इसलिए इनकी चमक बरकरार रहती है. इन्हें बिना किसी केमिकल प्रोसेस के सीधे ही बेच दिया जाता है.
The Irish Times की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के आस-पास की छोटी बस्तियों में लगभग 3500 लोग घरों से बाल इकठ्ठा करते हैं. ये लोग इस बाज़ार के सबसे निचले दर्जे में काम करने वाले हैं, जिन्हें मुश्किल से बाज़ार की कमाई का 1% मिल पता है. इतनी तेज़ी से बढ़ते इंसानी बालों के कारोबार से सीधे जुड़े लोगों की चांदी हो रही है.
भारत की सबसे बड़ी बाल निर्यात करने वाली कंपनी गुप्ता एंटरप्राइजेज का सालाना टर्नओवर 33 हज़ार करोड़ है. ये इंडिया जैसे किसी भी देश के हायर एजुकेशन के बजट के बराबर है. जी हां, पूरे देश का. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इन बालों से कितनी कमाई हो सकती सकती है.