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पिता के साथ ढेले पर अंडा बेच, ट्यिूशन पढ़ा कर, बना सबसे कम उम्र का आईपीएस…

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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में सफलता हासिल कर भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी या भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी बनने के लिए युवा दिलो-जान लगा देते हैं। उस पद पर पहुंचने वाले ज्यादातर युवा की अपनी एक कहानी होती है। कहानी मेहनत, संघर्ष और दृढ़ इरादों की। ऐसी ही एक कहानी हम आज आपको बता रहे हैं।

ये कहानी है साफिन हसन की। साफिन.. जिन्होंने 2017 यूपीएससी परीक्षा में 570 रैंक हासिल की और मात्र 22 साल की उम्र में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी (IPS Officer) बने। न जाने ऐसी कितनी रातों को इन्हें खाना तक नसीब नहीं हुआ। ऐसी कई मुश्किलों को मात देकर साफिन हसन ने अपना लक्ष्य हासिल किया है। देश के सबसे कम उम्र के इस आईपीएस अधिकारी को जामनगर में नियुक्ति दी गई है। वे 23 दिसंबर से पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

आइए इनके बारे में जानते हैं ..
साफिन गुजरात के सूरत जिले के रहने वाले हैं। उनके माता-पिता हीरे की एक यूनिट में नौकरी करते थे। एक बार जब प्राइमरी स्कूल में कलेक्टर आए थे तो सब उन्हें सम्मान दे रहे थे। ये देखकर उस वक्त साफिन को आश्चर्य हुआ। इस विषय पर साफिन ने अपनी मौसी से पूछा तो उन्होंने बताया कि कलेक्टर किसी जिले का राजा होता है। एक अच्छी पढ़ाई करके कलेक्टर बना जा सकता है। तभी साफिन ने कलेक्टर बनने की ठान ली।

साफिन हसन ने बताया कि 2000 में उनका घर बन रहा था। उनके माता-पिता दिन में मजदूरी और रात में घर के लिए ईंट ढोते थे। उसी दौरान मंदी के चलते माता-पिता की नौकरी चली गई।
उसके बाद उनके पिता ने घर चलाने और बच्चों को पढ़ाने के लिए घरों में इलेक्ट्रीशिन का काम करने के साथ-साथ रात में ठेला लगाकर उबले अंडे और ब्लैक टी बेची।

दूसरी तरफ हसन की मां घर-घर जाकर रोटियां बनाने का काम करती थीं। न जाने कितने घंटे वे रोटियां ही बेलती रहती थीं। अपने माता-पिता का ये संघर्ष देखकर वे हमेशा सोचते की माता-पिता के लिए कुछ करना है। हसन को बचपन से ही पढ़ना पसंद था। लेकिन साथ ही वे अन्य गतिविधियों का भी हिस्सा बनते थे।

इन्होंने प्राइमरी पढ़ाई सरकारी स्कूल में गुजराती मीडियम से की।
हसन के जब 10वीं में 92 प्रतिशत आए तो इनका मन था साइंस स्ट्रीम से पढ़ने का। हसन बताते हैं कि उस साल इनके जिले में एक प्राइमरी स्कूल खुल रहा था जिसकी फीस बहुत ज्यादा थी। पर इनकी आधी से ज्यादा फीस माफ कर दी गई। 11वीं कक्षा में इन्होंने अंग्रेजी सीखना शुरू किया। हसन अपने हॉस्टल खर्च के लिए छुट्टियों में बच्चों को पढ़ाते थे। यूपीएससी के पहले प्रयास के समय उनका एक्सीडेंट हो गया था। फिर भी वे परीक्षा देने गए। बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। लेकिन आखिरकार उन्हें सफलता मिली।