आपको जानकर हैरत होगी कि हमारे देश में तीन करोड़ से ज्यादा भारतीय गांजे-भांग व दो करोड़ से ज्यादा हेरोईन जैसे नशीले पदार्थों के व्यसन के शिकार हैं. यह डरा देने वाला खुलासा सामने आया है केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय की “मैग्निट्यूड ऑफ सबस्टेंस एब्यूज इन इंडिया 2019” नामक इसी वर्ष जारी रिपोर्ट में. उड़ता पंजाब जैसी फिल्मों के जरिये सारे देश में पंजाब की युवा पीढ़ी के नशे की गर्त में समाने के चिंताजनक खबर के बाद वहां भी ड्रग्स के विरूद्ध अभियान तेज हो ही चुका है.
हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने पंजाब सरकार से नये मानसिक स्वास्थ्य कानून के तहत व्यक्तिगत नशामुक्ति केंद्रों के पंजीयन का कदम उठाने का आदेश दिया है. नशे की लत को स्वास्थ्य समस्या मानकर उसे छुड़ाने की प्रयास की सोच का श्रेय अमेरिकी मनोचिकित्सक डाक्टर हरबर्ट डी। क्लेबर को दिया जाता है.
व्यसन या नशे की लत क्या है?
myupchar.com से जुड़े एम्स दिल्ली के डाक्टर ओमर अफरोज के मुताबिक, “नशे की लत होना एक बीमारी है, जो किसी आदमी के मस्तिष्क व व्यवहार को प्रभावित कर सकती है. कुछ पदार्थ जैसे अल्कोहल, मारिजुआना (गांजा) व निकोटीन को भी नशे ही का एक रूप माना जाता है, जब कोई इन्सान इनका आदी हो जाता है.” सामान्य शब्दों में बोला जाए तो एक ही गतिविधि में बार-बार लिप्त होने की ललक या खुशी पाने के लिए किसी पदार्थ का सेवन, लेकिन जिस बात से शरीर को नुकसान हो उसे ही व्यसन या लत बोला जाता है.
नशा एक मेडिकल समस्या
अब दशा बदल रहे हैं व संसार ड्रग्स की लत को नैतिकता के पतन की स्थान मेडिकल समस्या के तौर पर देखने लगी है. डाक्टर क्लेबर की सोच के कुछ अंश यहां पेश हैं जो हिंदुस्तान के लोगों को इस समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं-
– लोगों को दुकान में अंधाधुंध शॉपिंग या जुआ खेलने की लत हो सकती है, लेकिन जब वह किसी ड्रग या नशे विशेष पर ही निर्भर हो जाते हैं, फिर भले ही उसकी वजह कुछ भी हो, तो मुश्किलों की आरंभ होती है. दरअसल, नशीले पदार्थ (और उनका सेवन) हमारे दिमाग को गड़बड़ा देता है व उसके बाद हम नशे का बमुश्किल ही विरोध कर पाते हैं. ऐसा लगने लगता है कि जिंदगी में इसके बगैर कुछ भी नहीं है. 2018 में पंजाब में नशे पर निर्भरता को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वे में भाग लेने वाले 80 फीसदी नशेड़ी, नशे को छोड़ने की नाकाम कोशिशें कर चुके हैं.
ड्रग एडिक्शन या सबस्टेंस एब्यूज है क्या?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक सबस्टेंस एब्यूज का मतलब होता है शराब, गैरकानूनी ड्रग्स सहित ऐसे तमाम नुकसानदेह, खतरनाक उत्तेजना पैदा करने वाले (साइकोएक्टिव) पदार्थों का लगातार सेवन.
साइकोएक्टिव पदार्थ हमारे केंद्रीय नर्वस सिस्टम पर ही हमला बोलते हैं व एक तय समय में हमारे दिमाग के कामकाज के ढंग को ही बदल डालते हैं. इससे नशे के आदी आदमी की सोच, मूड व व्यवहार बदल जाता है.
उदाहरण के लिए एमडीएमए (जिसे एक्सटेसी, मोली या एक्स बोला जाता है) दिमाग में सेरोटोनिन, डोपेमाइन व नोरेपाइनेफ्रिन का उत्पादन प्रभावित करता है. सेरोटोनिन व डोपेमाइन जहां हमारे मूड को कुछ देर के लिए अच्छा कर देते हैं, नोरेपाइनेफ्रिन हमारी धड़कन व ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है.
व्यसन बनने का खतरा इनसे ज्यादा
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रग एब्यूज (एनआईडीए) के मुताबिक मारिजुआना (गांजा) व सिंथेटिक केनेबानोइड्स के सेवन के व्यसन में तब्दील होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. दर्दनिवारक (जैसे मॉर्फिन), उत्तेजक (एकाग्रता की कमी वाली बीमारी अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर में प्रयोग कोकेन, क्रिस्टल मैथ), एंटी-एन्क्जायटी ड्रग्स जैसे सेडेटिव्स व सरलता से मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध डेक्सट्रोमेथोर्फान (खांसी की दवा), लोपेरेमाइड (डायरिया रोकने के लिए) भी खतरनाक होती हैं. एम्स, नयी दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन “मैग्निट्यूड ऑफ सबस्टेंस एब्यूज स्टडीज” के मुताबिक हिंदुस्तान में इनहेलर्स व सेडेटिव्स के व्यसन से पीड़ित 4.5 लाख से ज्यादा बच्चों व 18 लाख वयस्कों को मदद की दरकार है.
ड्रग एडिक्शन के संकेत
अपने प्रियजन, दोस्त, साथी में ड्रग एडिक्शन के संकेतों को पहचानना उसे ड्रग एडिक्शन की नर्कनुमा जिंदगी से निजात दिलाने की दिशा में पहला जरूरी कदम होता है. याद रखें व उसे भी यह अहसास दिलाएं कि ड्रग एडिक्शन नैतिक पतन नहीं बल्कि एक मेडिकल समस्या है, जिसका हल भी मेडिकल हेल्प से ही होगा.
अमेरिकन एडिक्शन सेंटर के मुताबिक ड्रग एडिक्ट के प्रमुख लक्षण कुछ ऐसे हैं-
शारीरिकः एकाएक वजन कम होना या बढ़ना, लाल आंखें, जुबान लड़खड़ाना, आंखों की पुतलियां बड़ी होना या बहुत छोटी हो जाना आदि
मानसिकः आक्रामकता बढ़ जाना, मूड में बेहद बदलाव, बिना वजह का डर या तनाव व बुरे सपने आना
सामाजिकः हमेशा झूठ बोलना, आपराधिक गतिविधियों में लिप्तता, दोस्तों का ग्रुप बदल जाना, अपने पुराने साथियों, परिजनों से कट जाना
मार्च 2014 में केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने ड्रग एडिक्शन के दानव पर काबू पाने व ड्रग एडिक्शन के शिकार लोगों को मुख्य धारा में दोबारा लाने के लिए एक 24 घंटे की नेशनल हेल्पलाइन प्रारम्भ की थी. आपसे भी निवेदन है कि अगर आप किसी को ड्रग की लत का शिकार देखें व उसकी मदद करना चाहें, तो मदद के लिए टोल फ्री नंबर 1800-11-0031 पर जरूर कॉल करें. आपका एक कॉल किसी को दोबारा खुशहाल जिंदगी की सौगात दे सकता है.
फिल्म सुपरस्टार संजय दत्त हमारे देश के उन चुनिंदा लोगों में से हैं जो ड्रग एडिक्शन के अंधेरे में बहुत भीतर तक डूबने के बाद भी अपनी जीवटता, परिवार के समर्थन व निरोधक दवाओं के वश उससे बाहर निकलकर आए. संजय दत्त इस बात का प्रतीक हैं कि कैसे कोई जिंदगी को तबाह कर देने वाली इस मेडिकल समस्या से उबरकर बाहर आ सकता है. हिंदुस्तान में कम आयु से ही अनाथ व बेसहारा बच्चों के अतिरिक्त ऊंची सोसायटी के बच्चों में भी ड्रग एडिक्शन या किसी न किसी नशे की लत एक गंभीर रुप ले रहा है. ऐसे में समाज के हर एक आदमी को अपने इर्द-गिर्द नजर रखकर नशे की गर्त में समाती अपनी युवा पीढ़ी, अपने देश के भविष्य को बचाने के लिए आगे आना होगा.