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धनतेरस पर इस विधि से करें यमराज को दीपदान, अकाल मृत्यु से बचे रहेंगे आप

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इस साल धनतेरस का त्योहार गुरुवार यानी 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा. धनतेर पर पूजा करने से न सिर्फ धन-धान्य में वृद्धि होती है, बल्कि आपकी उम्र भी लंबी होती है और आप स्वस्थ रहते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन प्रदोष काल यानी शाम के समय यमराज के निमित्त दीप और नैवेद्य समर्पित करने से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है.

इसके लिए विशेष पूजा का प्रावधान है. इसके लिए धनतेरस की शाम को मिट्टी का एक बड़ा दीपक लें, उसे साफ पानी से धो लें. इसके बाद साफ रुई लेकर दो लंबी बत्तियां बना लें. उन्हें दीपक में एक-दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुहं दिखाई देने लगे. अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें.

अब इस दीपक की रोली, चावल एवं फूल से पूजा करें. उसके बाद घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी-सी खील अथवा गेहूं की एक ढेरी बनाएं और नीचे लिखे मंत्र को बोलते हुए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यह दीपक उस पर रख दें. इसके बाद हाथ में फूल लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें- ऊं यमदेवाय नम:। नमस्कारं समर्पयामि।।

उसके बाद यह फूल दीपक के समीप छोड़ दें और हाथ में एक बताशा लें तथा नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए उसे भी दीपक के पास रख दें- ऊं यमदेवाय नम:। नैवेद्यं निवेदयामि।।

अब हाथ में थोड़ा-सा जल लेकर आचमन के लिए नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए दीपक के पास छोड़ दें- ऊं यमदेवाय नम:। आचमनार्थे जलं समर्पयामि।

अब फिर से यमदेव को ऊं यमदेवाय नम: कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें. इस तरह दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता.

इसके पीछे एक कहानी है. कहा जाता है कि एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि- क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण का हरण करते समय किसी पर दयाभाव भी आया है, तो वे संकोच में पड़कर बोले- नहीं महाराज! यमराज ने उनसे दोबारा पूछा तो उन्होंने संकोच छोड़कर बताया कि- एक बार एक ऐसी घटना घटी थी, जिससे हमारा हृदय कांप उठा था. हेम नामक राजा की पत्नी ने जब एक पुत्र को जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही मर जाएगा.
ये बात जानकर उस राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया. एक दिन जब महाराजा हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उस ब्रह्मचारी युवक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया. चौथा दिन पूरा होते ही वह राजकुमार मर गया. अपने पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी. उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा. उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे.
तभी एक यमदूत ने पूछा -क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है? यमराज बोले- हां एक उपाय है. अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस पर पूजन और दीपदान विधिपूर्वक करना चाहिए. जहां यह पूजन होता है, वहां अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता