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छत्तीसगढ़ में हथकरघा वस्त्रों को पहचान दिलाने की कवायद, ऐसा है सरकार का प्लान

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 गुमनामी की तरफ बढ़ रहे हथकरघा वस्त्रों को न केवल देश, बल्कि विदेश में भी पहचान दिलाने की प्रदेश सरकार कवायद कर रही है। कोसा के कपड़ों के अलावा नए प्रयोगों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। जैसे अलसी के खराब रेशों से तैयार होने वाले वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 25 लाख स्र्पये मंजूर किए हैं, ताकि आधुनिक मशीनों की खरीदी की जा सके।

हथकरघा वस्त्रों के माध्यम से सरकार वनोपज की भी बिक्री बढ़ाने का रास्ता तलाश रही है, इसलिए हथकरघा संघ और बुनकरों को प्राकृतिक रंगों का अधिकाधिक उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के हथकरघा वस्त्रों की ब्रांडिंग के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ट्रेड मेले में स्टॉल लगवाया गया था। इसमें 35 देशों से 150 सहकारी समितियां आई थीं, जिसमें छत्तीसगढ़ को पुरस्कार मिला। दिल्ली में छत्तीसगढ़ भवन में भी हथकरघा मेले का आयोजन कराया गया था।

सितंबर में रायपुर में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन कराया गया था, जिसमें कई राज्यों की निजी कंपनियां और सहकारी समितियां आई थीं। हथकरघा वस्त्रों में प्राकृतिक रंगों के साथ नेचुरल ड्रॉइंग को बढ़ाने की कोशिश चल रही है। इसके लिए सरकार ने दो रंगरेजों को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा था। संघ सरकारी सप्लाई के अलावा निजी मार्केट में भी संभावना तलाशने में लगी है।

कवायद का दिखने लगा असर

– छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ बिलासा एम्पोरियम और श्रीलंका के सहकारिता विभाग के बीच दो वर्ष के लिए कोसा सिल्क कपड़ों का अनुबंध हुआ है।

– इंडिया इंटरनेशनल कोऑपरेटिस ट्रेड मेले में छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन मर्यादित संघ को राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट सहकारी राज्य के पुरस्कार से नवाजा गया।

– टाटा कंपनी के तनेरा टेक्सटाइल्स का देश में 200 स्टोर खोला जा रहा है, जिसके लिए कोसा साड़ी और मध्यप्रदेश हस्तशिल्प बोर्ड ने कोसा वस्तुओं का ऑर्डर दिया है।

सरकारी आपूर्ति का लक्ष्य बढ़ाया

हथकरघा संघ ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में सरकारी विभागों को 194 करोड़ के वस्त्रों की आपूर्ति की थी। चालू वित्तीय वर्ष में 169 करोड़ के वस्त्रों की सप्लाई का ऑर्डर मिला है। पहले माह में ही संघ ने 166 करोड़ के वस्त्रों की सप्लाई कर दी। इस कारण संघ ने आपूर्ति का लक्ष्य बढ़ाकर 205 करोड़ कर दिया है।

– हथकरघा संघ अब सरकारी सप्लाई के अलावा निजी सेक्टर में भी संभावनाएं तलाश रहा है, ताकि प्रदेश के 65 हजार बुनकरों को लगातार काम मिले। देश के सभी मेट्रो सिटी में संघ का शो-रूम खोलने का प्रयास चल रहा है। – मोतीलाल देवांगन, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ हथकरघा संघ