मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरुद्ध एसीबी में दर्ज मामले का खात्मा प्रतिवेदन एडीजे दुर्ग अजित कुमार राजभानू ने स्वीकार लिया है। भूपेश पर उनके पीसीसी अध्यक्ष रहते एसीबी ने पिछले साल तत्कालीन कलेक्टर दुर्ग आर संगीता के द्वारा गठित समिति की सिफ़ारिश के आधार पर अपराध दर्ज किया था।पाटन विधायक रहते हुए साडा सदस्य रहे भूपेश बघेल पर उनके भतीजे विजय बघेल, पूर्व विधायक विरेंद्र पांडेय और अधिवक्ता अशोक शर्मा ने आरोप लगाए थे।
शुरुआती दौर में शिकायत मिलने पर एसीबी ने शिकायत वापस शासन को सौंप दी, जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर आर संगीता ने समिति गठित की। इसने भूपेश के खिलाफ रिपोर्ट दी। समिति की इस रिपोर्ट के बाद शासन ने फिर एसीबी को प्रकरण में अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
जबकि यह प्रकरण दर्ज हुआ, भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और तब इस मामले को दबाव बनाने की रणनीति के रूप में कांग्रेस ने पेश किया और प्रकरण को फर्जी बताया था। कांग्रेस का आरोप था कि भूपेश बघेल लगातार रमन सरकार पर हमला कर रहे हैं और गड़बड़ियों को उजागर कर रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ फर्जी केस बनाए जा रहे हैं।
एसीबी ने बीते पांच सितंबर इस मामले में दुर्ग न्यायालय में एडीजे अजित कुमार राजभानू स्पेशल कोर्ट के समक्ष खात्मा प्रतिवेदन पेश किया। एसीबी ने साफ तौर पर कहा कि जांच में ये बात साबित हो गई है कि भूपेश बघेल के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। वकील ने भी कहा कि जानबूझकर परेशान करने की नीयत से उन्हें एसीबी का इस्तेमाल कर फंसाया गया। कोर्ट ने इस पर तीनों शिकायतकर्ताओं को नोटिस दिया और 20 सितंबर को विजय बघेल ने आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन, कोर्ट ने उसे स्वीकार नही किया। कोर्ट ने गुरुवार शाम इस मामले में घोषणा की कि एसीबी का खात्मा प्रतिवेदन स्वीकार किया जाता है।