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HIV Mothers: एचआईवी से जीती जंग, 113 एड्स पीड़ित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म

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 एचआइवी संक्रमण अब मां बनने के लिए अभिशाप नहीं रह गया है। अब ऐसी तकनीक का ईजाद कर लिया गया है, जिससे मां के एचआईवी संक्रमित होने के बाद भी उनके गर्भस्थ का बचाव मुमकिन कर दिया है। बड़े चकाचौंध वाले शहरों में एड्स और एचआईवी को लेकर जागरूकता तो आम बात है। शहरों में तमाम तरह की मेडिकल सुविधाएं होती हैं। लेकिन एड्स को लेकर जागरूकता बिहार के किसी शहर में हो तो अचरज होता है, लेकिन हकीकत यह है कि बिहार के समस्तीपुर में एडस पीड़ित 113 महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि सभी गर्भवती महिलाओं ने बच्चे के जन्म से पहले अपना एचआईवी टेस्ट कराया था। एचआईवी टेस्ट में पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही पीड़ित गर्भवती महिलाओं का इलाज शुरू कर दिया गया। इस इलाज से गर्भ में पल रहे बच्चे पर बीमारी का असर नहीं पड़ा।

इस बीमारी के इलाज के तहत समस्तीपुर स्थित सदर अस्पताल के एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर में एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला का खास ख्याल रखा गया। इसके बाद दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दिए गए। इन सभी महिलाओं की दिनचर्या नए सिरे से तय की जाती है। साथ ही क्या करें और क्या न करें, जैसे तमाम निर्देश दिए जाते हैं। इस वजह से गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है। गर्भधारण का समय पूरा होने पर पीड़ित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) रेफर किया जाता है।

नवजात की मिल रही उत्साहजनक रिपोर्ट

बिहार के समस्तीपुर में पिछले चार सालों के दौरान (जनवरी 2016 से सितंबर 2019) 2,982 लोगों की एचआईवी जांच और काउंसलिंग की गई है। जांच करवाने वालों में 1555 पुरुष, 1218 महिलाएं और 209 बच्चे शामिल थे। इनमें से 113 महिलाएं एचआईवी पीड़ित पाई गई। बाद में इन महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों के जन्म दिया। 2016 में यह संख्या 33, 2017 में 36, 2018 में 30 और 2019 में अब तक 14 हैं । इन महिलाओं की एचआईवी रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही स्वास्थ्य विभाग ने इलाज शुरू कर दिया था, बाद में सभी नवजात की एचआईवी रिपोर्ट निगेटिव आई है। 113 बच्चों को जागरूकता की वजह से ही बचाया जा सका है। समस्तीपुर के सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर में एचआईवी पीड़ितों के इलाज से संबंधित सारी सुविधाएं, टेस्ट एवं दवाइयां उपलब्ध हैं।

जागरूकता से ही एड्स का इलाज संभव है। 113 बच्चों को जागरूकता की वजह से ही बचाया जा सका। सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर में एचआइवी पीड़ितों के इलाज के लिए सारी सुविधाएं, टेस्ट एवं दवाइयां उपलब्ध हैं। -श्रीराम प्रसाद, नोडल पदाधिकारी, एआरटी सेंटर, सदर अस्पताल