Home जानिए क्या है ई-फास्टिंग, जिसमें खाना-पीना नहीं बल्कि कुछ और मना है

क्या है ई-फास्टिंग, जिसमें खाना-पीना नहीं बल्कि कुछ और मना है

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अमेरिकी महिला एलाना मगडैन इन दिनों सोशल मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है. इस महिला ने लगभग 10 महीनों से स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं किया है और 2 महीने पूरे होते ही ये महिला एक प्रतियोगिता जीत जाएंगी. एक अमेरिकी कंपनी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता Scroll Free for a Year में एलाना ने हिस्सा लिया और स्मार्टफोन छोड़ दिया. प्रतियोगिता जीतने पर उन्हें 71 लाख रुपयों का पुरस्कार मिलेगा, हालांकि इससे पहले उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट भी किया जाएगा. बताया जाता है प्रतियोगिता की चुनौती स्वीकार करते ही एलाना से उनका आईफोन ले लिया गया और बदले में उन्हें बेसिक फोन दिया गया. 20 साल की एलाना ने इसके बाद से अपने तो क्या किसी के भी स्मार्टफोन का उपयोग नहीं किया.

 भारत में लगभग 323 मिलियन लोग किसी न किसी तरह से इंटरनेट का रोजाना इस्तेमाल करते हैं. ये देश की जनसंख्या का लगभग 25 प्रतिशत है. रिसर्च करने वाली संस्था Statista Research Department के ये आंकड़े साल 2018 के हैं, जो साथ में ये इशारा भी करते हैं कि ये प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है. साल 2011 में इंटरनेट यूजर्स 10 प्रतिशत थे.

भारत में लगभग 323 मिलियन लोग किसी न किसी तरह से इंटरनेट का रोजाना इस्तेमाल करते हैं. ये देश की जनसंख्या का लगभग 25 प्रतिशत है. रिसर्च करने वाली संस्था Statista Research Department के ये आंकड़े साल 2018 के हैं, जो साथ में ये इशारा भी करते हैं कि ये प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है. साल 2011 में इंटरनेट यूजर्स 10 प्रतिशत थे.

 इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने की वजह से एक तरफ कई फायदे हुए तो दूसरी ओर इसके नुकसान भी कम नहीं हैं. इन नुकसानों को Internet addiction disorder (IAD) के नाम से जाना जाता है. इंटरनेट के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से दिमाग और शरीर के कई हिस्सों पर खराब असर होता है. खासकर मानसिक स्वास्थ्य पर इससे बहुत बुरी तरह से प्रभावित होता है.द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार मानसिक तकलीफों जैसे डिप्रेशन, अनिद्रा, पैनिक अटैक जैसी समस्याओं से जुड़े लोगों में ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जो ऑनलाइन काफी ज्यादा वक्त बिताते हैं. इसे online overload भी कहते हैं.

इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने की वजह से एक तरफ कई फायदे हुए तो दूसरी ओर इसके नुकसान भी कम नहीं हैं. इन नुकसानों को Internet addiction disorder (IAD) के नाम से जाना जाता है. इंटरनेट के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से दिमाग और शरीर के कई हिस्सों पर खराब असर होता है. खासकर मानसिक स्वास्थ्य पर इससे बहुत बुरी तरह से प्रभावित होता है.द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार मानसिक तकलीफों जैसे डिप्रेशन, अनिद्रा, पैनिक अटैक जैसी समस्याओं से जुड़े लोगों में ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जो ऑनलाइन काफी ज्यादा वक्त बिताते हैं. इसे online overload भी कहते हैं.

 अगर आप भी बार-बार WhatsApp चेक करते हैं, फेसबुक खंगालते हैं या बिना मतलब दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जाते रहते हैं तो आप भी बीमारी की जद में हैं. यही वक्त है ई-फास्टिंग (E-Fasting) का. शरीर की आंतों को आराम देने के लिए जैसे हम उपवास करते हैं, उसी तरह से इंटरनेट से दूरी ई-फास्टिंग कहला सकती है.

अगर आप भी बार-बार WhatsApp चेक करते हैं, फेसबुक खंगालते हैं या बिना मतलब दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जाते रहते हैं तो आप भी बीमारी की जद में हैं. यही वक्त है ई-फास्टिंग (E-Fasting) का. शरीर की आंतों को आराम देने के लिए जैसे हम उपवास करते हैं, उसी तरह से इंटरनेट से दूरी ई-फास्टिंग कहला सकती है.

 Electronic fasting या ई फास्टिंग में किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सर्विस से दूर रहना है जैसे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया. चूंकि इंटरनेट से पूरी तरह से दूरी मुमकिन नहीं इसलिए हफ्ते में एक दिन या रोज कुछ घंटों के लिए (सोने के वक्त के अलावा) ई फास्टिंग की जा सकती है.

Electronic fasting या ई फास्टिंग में किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सर्विस से दूर रहना है जैसे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया. चूंकि इंटरनेट से पूरी तरह से दूरी मुमकिन नहीं इसलिए हफ्ते में एक दिन या रोज कुछ घंटों के लिए (सोने के वक्त के अलावा) ई फास्टिंग की जा सकती है.

 हफ्ते में एक दिन तय करें, जिसमें आप सोशल मीडिया से एकदम दूर रहेंगे. शुरुआत में इससे एंजाइटी या बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यही बेचैनी संकेत है कि आपको इंटरनेट एडिक्शन है. Centre for Internet and Technology Addiction (CITA) की मदद से आप चेक कर सकते हैं कि आपका इंटरनेट एडिक्शन कितना बढ़ा-चढ़ा है. इसके लिए virtual internet addiction test होता है.

हफ्ते में एक दिन तय करें, जिसमें आप सोशल मीडिया से एकदम दूर रहेंगे. शुरुआत में इससे एंजाइटी या बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यही बेचैनी संकेत है कि आपको इंटरनेट एडिक्शन है. Centre for Internet and Technology Addiction (CITA) की मदद से आप चेक कर सकते हैं कि आपका इंटरनेट एडिक्शन कितना बढ़ा-चढ़ा है. इसके लिए virtual internet addiction test होता है.

 सबसे पहले तो अपने मोबाइल से गैरजरूरी या कम काम आने वाले एप हटा दें. इससे मोबाइल का बोझ कम हो जाएगा. साथ ही साथ एप्स के नोटिफिकेशन बंद कर दें. अगर मोबाइल पर गेम खेलने का शौक है तो इसे तुरंत रोक दें. अगर खेलना ही हो तो वक्त तय करें और उसी वक्त पर खेलें. स्मार्टफोन पर ब्राउजिंग टाइम पर नियंत्रण के लिए भी कई एप आते हैं. इन्हें लगा लेने पर आप अपनी लिमिट तय कर सकते हैं और टेक्नोलॉजी ही इसमें आपकी मदद करेगी.

सबसे पहले तो अपने मोबाइल से गैरजरूरी या कम काम आने वाले एप हटा दें. इससे मोबाइल का बोझ कम हो जाएगा. साथ ही साथ एप्स के नोटिफिकेशन बंद कर दें. अगर मोबाइल पर गेम खेलने का शौक है तो इसे तुरंत रोक दें. अगर खेलना ही हो तो वक्त तय करें और उसी वक्त पर खेलें. स्मार्टफोन पर ब्राउजिंग टाइम पर नियंत्रण के लिए भी कई एप आते हैं. इन्हें लगा लेने पर आप अपनी लिमिट तय कर सकते हैं और टेक्नोलॉजी ही इसमें आपकी मदद करेगी.

 घर में कुछ जगहें तय कर सकते हैं जो नो इंटरनेट जोन (no internet zone) हों. जैसे कि बेडरूम, लिविंग रूम या फिर खाने की टेबल. नो इंटरनेट जोन का नो स्मोकिंग जोन की तरह ही सख्ती से पालन करें. ये नियम घर के हरेक सदस्य के लिए हो. नियम तोड़ने पर किसी तरह का फाइन भी तय किया जा सकता है.

घर में कुछ जगहें तय कर सकते हैं जो नो इंटरनेट जोन (no internet zone) हों. जैसे कि बेडरूम, लिविंग रूम या फिर खाने की टेबल. नो इंटरनेट जोन का नो स्मोकिंग जोन की तरह ही सख्ती से पालन करें. ये नियम घर के हरेक सदस्य के लिए हो. नियम तोड़ने पर किसी तरह का फाइन भी तय किया जा सकता है.