रूस की राजधानी मास्को की रहने वाली सोफिको सोनिया एक सामान्य टूरिस्ट की तरह 2010 में भारत घूमने आई थी। लेकिन यहां आने के बाद भारतीय गीत-संगीत और डांस का जादू उन पर कुछ इस तरह चढ़ा कि फिर वे यहीं की होकर रह गईं। हिंदुस्तानी गुरुओं के सानिध्य में उन्होंने अपने नृत्य को कुछ इस तरह संवारा कि आज भारतीय नृत्य शैली ही उनकी पहचान बन गई है। वे मास्को से लेकर दिल्ली तक इंडियन डांस के सेमी क्लासिकल स्टाइल के अनेक कार्यक्रम समय-समय पर प्रस्तुत करती रहती हैं। वे जल्दी ही भारतीय नृत्य पर आधारित एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रही हैं।
भारतीय नृत्य में भी है आध्यात्मिकता
मास्को की एक यूनिवर्सिटी से प्यानो बजाने में स्नातक कर चुकीं सोफिको सोनिया बताती हैं कि भारतीय संगीत हो या नृत्य कला, यह कुछ पलों की खुशी प्राप्त करने का साधन नहीं है। जब आप भारतीय कलाओं में डूबते हैं, तब आपको एहसास होता है कि यह ईश्वर को पाने का एक साधन भी है। यहां के गुरुओं ने डांस को जिस तरह आध्यात्मिकता से जोड़ा है, वह अद्भुत है। उनका मानना है कि पूरी दुनिया को इसे अपनाना चाहिए क्योंकि यह शांति पाने का एक बेहतरीन रास्ता है। स्वयं भारत को भी दुनिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए भारतीय गीत-संगीत और नृत्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देना चाहिए।
हेमामालिनी और श्रीदेवी हैं आदर्श
बॉलीवुड की फिल्में रूस में खूब लोकप्रिय हैं। राजकपूर के जमाने से शुरु हुई ये परंपरा आज भी जारी है। सोफिको भी उन्हीं रूसियों में से एक हैं, जिन्होंने भारतीय गीत-संगीत को पहली बार बॉलीवुड के जरिए जाना। हेमामालिनी और श्रीदेवी आज भी अपने डांस के लिए लोगों के दिलों पर राज करती हैं। सोफिको को ये दोनों बॉलीवुड हिरोइनें बेहद पसंद हैं। वे उनकी फिल्में खूब देखती हैं। आज के कलाकारों में नवाजुद्दीन सिद्दीकी और इरफान खान उन्हें बेहद सधे हुए कलाकार लगते हैं।
यहीं मिल गया जीवन साथी
सोफिको बताती हैं कि भारत आने के बाद उन्होंने 2011 में इंडियन डांस की ट्रेनिंग लेनी शुरु कर दी। दिल्ली के कोरियोग्राफर नितिन राठी उन्हें विभिन्न भारतीय नृत्य कलाओं से परिचित करा रहे थे। लगभग दो साल बाद उन्होंने महसूस किया कि नितिन उन्हें ज्यादा अच्छी तरह से समझते हैं। वे स्वयं उनकी और उनकी कला की कद्र करते हैं। इसके बाद दोनों करीब आने लगे और मामला शादी तक पहुंच गया। दोनों ने वर्ष 2014 में मास्को में शादी कर ली।
इस तरह बीता बचपन
उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता दोनों ही पेशे से इंजीनियर हैं। एक संभ्रांत परिवार में उनका पालन-पोषण हुआ। लेकिन जल्दी ही उन्होंने यह महसूस किया कि संगीत ही उनकी दुनिया है। पहले तो उन्होंने बैले जैसी रूसी नृत्य कलाओं को सीखा और बाद हिंदुस्तानी संगीत-नृत्य की शिक्षा ली। वर्ष 2006 में ही उन्होंने इरीना से मोहिनीयाट्टम (केरल की एक नृत्य शैली) सीखी। बाद में भारत आकर गुरु सपन आचार्य से अनेक विधाओं में नृत्य सीखा।