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दशहरा के बाद चित्रकोट में दम लगाएगी कांग्रेस

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चित्रकोट उपचुनाव में दशहरा के बाद कांग्रेस प्रचार में दम लगाएगी। अभी गांधी विचार यात्रा, नवरात्र और विजयादशमी के तैयारी में पार्टी के आला-नेता व्यस्त हैं। इस कारण चित्रकोट में स्थानीय नेताओं ही प्रचार में जुटे हैं। चित्रकोट के बाहर के नेताओं ने नामांकन के बाद एक भी चुनावी सभा या रैली नहीं की है। बस्तर संभाग की एक सीट दंतेवाड़ा को कांग्रेस ने उपचुनाव में भाजपा से छीन लिया है। अब कांग्रेस को चित्रकोट सीट को उपचुनाव में बनाया है। यह सीट विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने जीती थी। यहां के विधायक दीपक बैज सांसद बन गए तो उन्होंने विधायकी छोड़ दी।

सीट खाली होने के कारण 21 अक्टूबर को चित्रकोट में मतदान कराया जा रहा है। 19 अक्टूबर की शाम पांच बजे से प्रचार का दौर खत्म हो जाएगा। मतलब, प्रचार के लिए अब केवल 13 दिन रह गए हैं। अब तक प्रचार ने रंग नहीं पकड़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण त्योहारी सीजन है।

इसके बाद भी कांग्रेस के प्रत्याशी राजमन बाग और उनके समर्थकों के अलावा चित्रकोट के पूर्व विधायक व बस्तर के सांसद बैज प्रचार में समय दे रहे हैं। इधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर दूसरे मंत्री, पीसीसी अध्यक्षम मोहन मरकाम और पार्टी के दूसरे आला-नेता, पदाधिकारी गांधी विचार यात्रा में व्यस्त हैं।

पार्टी के विधायक नवरात्र और दशहरा की तैयारी के कारण अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। आठ अक्टूबर को दशहरा और 10 अक्टूबर को गांधी विचार यात्रा का समापन हो जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री, पीसीसी अध्यक्ष से लेकर कांग्रेस के तमाम नेता, मोर्चा-संगठन के पदाधिकारी लाव-लश्कर के साथ चित्रकोट के मैदान में कूद पड़ेंगे। चुनावी सभाएं और रैलियां होंगी। इसके लिए प्रभारी प्रदेश महामंत्री गिरिश देवांगन कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं।

दंतेवाड़ा सीट तो भाजपा की थी, लेकिन कांग्रेस ने उस पर उपचुनाव में कब्जा कर लिया। भाजपा यह मानकर चल रही थी कि उसके विधायक भीमा मंडावी की नक्सली हत्या पर सहानुभूति का फायदा मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

चित्रकोट में जीत ज्यादा जरूरी

अगर कांग्रेस यह सीट हार जाती, तो उसके पास यह कहने के लिए था कि सहानुभूति के चलते भाजपा इस सीट पर जीम गई। चित्रकोट में कांग्रेस के पास ऐसा कुछ कहने के लिए नहीं है। लगातार दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने चित्रकोट सीट में जीत हासिल की है। इस कारण उसके लिए उपचुनाव में इस सीट पर वापस कब्जा करना ज्यादा जरूरी है।