छत्तीसगढ़ के राजनांदगाव की महिलाएं बेहद मामूली से गांव में रहकर करोड़ों का कारोबार कर रही हैं। यह महिलाएं उनके लिए प्रेरणा है जिन्हें अक्सर लगता है कि अभावों में रहकर कभी कामयाब नहीं हुआ जा सकता।
जिले के छुईखदान ब्लॉक के संडी गांव की इन महिलाओं ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया है। कभी बमुश्किल एक लीटर दूध बेचने वाली महिलाओं का यह ग्रुप अब 800 लीटर तक का कारोबार कर रहा है। इस सोसाइटी का सालाना टर्न ओवर ढाई से तीन करोड़ तक पहुंच गया है।
साल 2016 से पहले इस गांव की महिलाओं के पास कोई खास रोजगार नहीं था। खेती, किसानी के अलावा ये कुछ नहीं करतीं थीं। परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने की इनकी ललक, इन्हें डेयरी कारोबार के पास ले आई। पशु चिकित्सकों से मवेशियों की अच्छी देख भाल का तरीका सीखा। कुछ ही दिनों में हालात बदले और यह महिलाएं अब देवभोग और अमूल जैसे ब्रांड को दूध सप्लाई करती हैं।
इस समूह का नाम मां बम्लेश्वरी दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मर्यादित है। सदस्य धनेश्वरी वर्मा ने बताया कि दुग्ध उत्पादन के लिए मवेशी खरीदने पैसे नहीं थे। बैंक से लोन लेने की प्लानिंग हुई पर बैंक वाले यकीन नहीं करते थे कि महिलाएं डेयरी के क्षेत्र में कुछ पाएंगी।
पद्मश्री फुलबासन बाई यादव ने भी मदद की और लोन मिला। सोसाइटी की अध्यक्ष लता जंघेल ने बताया कि 2016 की बात है, लोन मिलने पर मवेशी तो खरीद लिए पर कुछ दिन बाद एक-एक कर मवेशी बीमार होते गए।
हालांकि महिलाओं ने हौसला नहीं खोया। समूह से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि पहले परिवार के सदस्यों के साथ ही गांव के लोग भी रोकटोक करते थे। ताने मारते थे कि महिलाएं सिर्फ समय बर्बाद कर रहीं हैं। अब आलम यह है कि इस सफलता को देखकर अब दूसरे जिले और ब्लॉक की महिलाएं भी इनसे संपर्क कर जानना चाहती हैं कि इन्होंने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर काम कैसे किया। संडी सहित जंगलपुर, चकनार, गोपालपुर, उदयपुर, ठंडार व गंडई क्षेत्र में दूध की सप्लाई कर रहीं हैं।