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वैष्णो माता का दरबार बना और भव्य, गुफा मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगा सोने का गेट

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शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। देशभर में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की विशेष पूजा का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं, नवरात्रि के अवसर पर शक्ति को समर्पित सबसे पवित्र मंदिरों में एक वैष्णो देवी मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि माता वैष्णो देवी के गुफा मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्वर्णजड़ित गेट लगाया गया है।माता वैष्णो देवी
गुफा मंदिर के प्रवेश पर स्वर्णजड़ित गेट लगाया गया

इसे एक अक्टूबर को औपचारिक रूप से तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिया गया। ये स्वर्णपत्र से जड़ित कटरा में भी माता वैष्णो देवी श्राइन में प्राकृतिक गुफा मंदिर के बाहर स्थित है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ सिमरनदीप सिंह ने बताया कि तृतीया नवरात्र के मौके पर वैदिक मंत्रोच्चार और अन्य विधियों के साथ स्वर्णपत्र जड़ित द्वार का लोकार्पण किया गया।

नवरात्रि
नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे वैष्णो माता के दरबार

नवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुफा मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न मां वैष्णो का एक अन्य नाम देवी त्रिकुटा भी है। देवी त्रिकुटा यानी मां वैष्णो देवी का निवास स्थान जम्मू में माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में एक गुफा में है। देवी त्रिकुटा के निवास के कारण माता का निवास स्थान त्रिकूट पर्वत कहा जाता है।

माता वैष्णो देवी
माता वैष्णो देवी का दरबार बना और भव्य

मां के दरबार में अक्सर भक्तों को लंबी कतार के कारण दर्शन के लिए बहुत कम वक्त मिलता है। माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए वर्तमान में जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है, वह गुफा में प्रवेश का प्राकृतिक रास्ता नहीं है। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए कृत्रिम रास्ते का निर्माण 1977 में किया गया था। वर्तमान में श्रद्धालु इसी रास्ते से माता के दरबार में प्रवेश करते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या कम होने पर प्राचीन गुफा का द्वार खोल दिया जाता है। आमतौर पर ऐसा शीतकाल में दिसंबर और जनवरी के महीने में होता है। इस पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है और गुफा में प्रवेश और निकास के लिए दो कृत्रिम रास्ते बनाए गए हैं।