Home छत्तीसगढ़ खतरों का खिलाड़ी बनने का शौक रखता है बीएसपी

खतरों का खिलाड़ी बनने का शौक रखता है बीएसपी

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रूस के सहयोग से भिलाई इस्पात संयंत्र खड़ा हुआ है। छह दशक बीतने जा रहा है। अब इसकी जड़ें कमजोर होती जा रही। समय-समय पर मेंटेनेंस होता है। लेकिन लापरवाही और कोताही के साथ। कहीं-कहीं पर प्रबंधन की नजर-ए-इनायत तक नहीं होती, जिससे इसका कमर ही लाचारी से कमजोर होने के कगार पर है।

एशिया के सबसे बड़े स्टील प्लांट का हाल बेहाल होने की तस्वीर सामने आ रही है। लगातार हादसे और अपने साथियों को खोने की वजह से कर्मचारियों के सब्र का बांध भी टूट रहा है। बीएसपी प्रबंधन ने प्लांट को प्रतिबंधित एरिया करार देते हुए फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर बैन लगा रखा है। जगह-जगह इसकी सूचना भी होर्डिंग और पत्रों के माध्यम से दी जा रही है। कर्मचारी भी इसका सम्मान कर रहे हैं। वहीं, ऐसे आदेश को ठेंगे पर रख रहे, क्योंकि अगर, वे आंख बंद किए रहे तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।

जिम्मेदार अधिकारियों के निकम्मेपन की वजह से कर्मचारियों को ही आइना दिखाना पड़ रहा है। यही वजह से जर्जर होते स्ट्रक्चर और बेहाल व्यवस्था की तस्वीर को वायरल किया जा रहा है। इनका मकसद प्रबंधन को नीचा दिखाना नहीं बल्कि व्यवस्था सुधारना है। समय रहते विभागीय अधिकारी अपना दायित्व निभाते तो शायद इसकी नौबत नहीं आती।

सिंटर प्लांट-2 का जर्जर स्ट्रक्चर

शनिवार को बीएसपी के सिंटर प्लांट-2 में क्रेन का हुक टूट कर गिरा था। दो कर्मचारी चपेट में आए थे। एक ने दम तोड़ दिया। दूसरा सेक्टर-9 में जिंदगी मौत से जूझ रहा है। उसी तरह जैसे सिंटर प्लांट-2 का स्ट्रक्चर जूझ रहा है। यहां के जर्जर स्ट्रक्चर की तस्वीर भी सामने आई है। इसे देखकर किसी का भी दिल दहल सकता है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की आंखों पर अब तक पर्दा ही पड़ा है।

मैटालिक डस्ट से तबाही का डर

प्लांट में कई जगह जर्जर स्ट्रक्चर दिखते हैं। इसके आसपास मैटालिक डस्ट का ढेर भी नजर आ ही जाता है। इससे बरसात का पानी पड़ने के बाद स्ट्रक्चर में जंग लगना शुरू हो चुका है। इसे खतरनाक माना जा रहा है। जंग की वजह से स्ट्रक्चर जर्जर होने लगेगा। यही कारण है कि धीरे-धीरे जंग लगने के बाद स्ट्रक्चर गिरने की घटनाएं बढ़ती जाती है। सिंटरिंग प्लांट यानी एसपी-3 की फोटो सारी कहानी बयां कर रही है।

यहां तो बड़े हादसे का हो रहा इंतजार

ब्लास्ट फर्नेस के एसपीजी की चिमनी झुक चुकी है। सपोर्ट देकर रखा गया है। उसी तरह का सपोर्ट जैसे, अधिकारियों ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए लगा रखा है। उच्चाधिकारियों की दया-दृष्टि से वे अपनी नौकरी काट रहे हैं। लापरवाही की सारी हदें पार की जा रही है। विभागीय कर्मचारियों का आरोप है कि अगर, चिमनी टूटकर गिरी तो बड़ा हादसा होगा। इसकी जद में कर्मचारी और अधिकारी भी आ सकते हैं। झुकी चिमनी की हकीकत से प्रबंधन भी वाकिफ है, लेकिन मेंटेनेंस का काम कब पूरा होगा, किसी को पता नहीं।

स्क्रैप का रूप लेती बसें

हाउस कीपिंग के नाम पर हर साल अवॉर्ड तक विभाग झटक लेते हैं। साफ-सफाई का डंका पीटते हैं। 5-एस फॉर्मूले का मुखिया तक बताने का मौका नहीं छोड़ते। कार्यस्थल को व्यवस्थित रखने के लिए जापान ने 5-एस का फॉर्मूला दिया है। बीएसपी ने भी इसे अपनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। लेकिन जमीनी काम से मुंह फेर लिया। यही वजह है कि प्लांट में हर तरफ स्क्रैप बिखरा दिखता है। टीए बिल्डिंग में कई सालों से खटारा बसें खड़ी है। इसे डिस्पोजल में भी नहीं भेजा रहा है।