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दसवीं में आए थे 99.2 फीसदी नंबर, 10 हजार की नौकरी के लिए बना डाकिया

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बेरोजगारी की मार से बेहार युवा पढ़ लिखने के बाद भी नौकरी हासिल नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उन्हें कुछ हजार रुपये की नौकरी में ही परिवार का खर्चा चलाना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश से सामने आया है. जहां दसवीं में 99.2 फीसदी अंक हासिल करने वाले एक युवक ने डाक विभाग में 10 हजार रुपये की नौकरी करना पसंद किया है. उसकी नियुक्ति डाकिया के पद के लिए हुई है.

दरअसल, हाल ही में हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण डाक सेवक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया है. इस परीक्षा में ज्यादातर युवा ऐसे ही है. जिन्होंने दसवीं क्लास में अच्छे अंक हासिल किए थे. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण डाक सेवक पदों के लिए जितने युवाओं का चयन हुआ है उनमें से किसी के भी दसवीं में 81 फीसदी से कम अंक नहीं हैं. बता दें कि ग्राम डाक सेवक का काम घर-घर जाकर चिट्ठियां बांटने का होता है. यही नहीं उनकी नौकरी भी अस्थाई होती है और वेतन भी केवल 10 हजार रुपये मासिक ही होता है.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में कुछ महीने पहले 757 ग्रामीण डाक सेवकों के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे. जिसके लिए लाखों युवाओं ने आवेदन किया था. राज्य के नौ डाक मंडलों में दसवीं कक्षा की मेरिट के आधार पर इनका चयन किया जाना था. मैट्रिक में 99.2 फीसदी अंक लेने वाले सोलन के नालागढ़ निवासी राजेंद्र कुमार का भी ग्रामीण डाक सेवक के पद के लिए चयन हुआ है.

राज्य के नौ डाक मंडलों में सबसे ज्यादा मेरिट 99.2 प्रतिशत, जबकि सबसे कम 81.2 फीसदी रही है और यहां दसवीं में 81 फीसदी अंक लेने वाले को भी डाक सेवक की नौकरी नहीं मिल पाई. बता दें कि डाक विभाग ने 757 ग्रामीण डाक सेवक पदों के लिए 752 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है. पांच उम्मीदवारों के नाम की सूची अभी रोकी गई है. बता दें कि इन पदों में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 323, आर्थिक रूप से कमजोर आरक्षित वर्ग के लिए 78, ओबीसी के 182, एससी के 131 और एसटी के 43 पद शामिल थे.