गणेश चर्तुर्थी (Ganesh Chaturthi) के मौके पर देश के हर हिस्से में रौनक दिखाई देती है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस साल यह उसत्व 2 सितंबर से 12 सितंबर तक चलेगा। भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद है इसलिए इस दौरान उन्हें इसी का भोग लगाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि गणपति बप्पा को मोदक ही क्यों पसंद है। चलिए आज हम आपको बचाते हैं बप्पा की इस पसंद की वजह।
बप्पा को क्यों पसंद है मोदक और लड्डू?
दरअसल, एक युद्ध के दौरान भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी से गणेश जी का एक दांत टूट गया था, जिसके कारण उन्हें भोजन करने के काफी परेशानी होती थी। उनकी इस समस्या का हल करने के लिए पार्वती माता ने लड्डूू और मोदक बनाए गए, जो उनके मुंह में जाते ही घुल जाते थे। इसके बाद से ही मोदक व लड्डू विघ्नहार्ता गणपति के प्रिय हो गए। इसके बाद से उन्हें मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाने लगा।
गणेश चतुर्थी पर मोदक का महत्व
मोदक का अर्थ होता है खुशी इसलिए इसे खाते ही व्यक्ति प्रसन्न हो जाता है। दरअसल, मराठी में खुशी को मोदक कहा जाता है। मोदक बनाने के कई तरीके हैं। सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध तरीका यह है कि चावल का आटा और गेंहू का आटा मिलाकर, उसमें नारियल, गुड़ और मेवे से भरकर भाप से पकाया जाता है।
वहीं गणेश पुराण के अनुसार, देवताओं ने अमृत से बना एक मोदक देवी पार्वती को भेंट किया। माता पार्वती से मोदक के गुणों को जानने के बाद गणेश जी की उसे खाने की इच्छा तीव्र हो गई और प्रथम पूज्य बनकर चतुराई पूर्वक उस मोदक को प्राप्त कर लिया। इस मोदक को खाकर गणेश जी को अपार संतुष्टि हुई तब से मोदक गणेश जी का प्रिय हो गया।
सेहत के लिए भी फायदेमंद है मोदक
मोदक को शुद्ध आटा, घी, मैदा, खोआ, गुड़, नारियल से बनाया जाता है। इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए गुणकारी और तुरंत संतुष्टिदायक होता है। यही वजह है कि इसे अमृततुल्य माना गया है। मोदक के अमृततुल्य होने की कथा पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलती है।
21 दुखों का नाश करते हैं गणपति
किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले पूजा भगवान गणेश की होती है। भगवान गणेश को दूर्वा बहुत ही प्रिय होती है। दूर्वा चढ़ाने से ना सिर्फ हर मनोकामना पूरी होती है बल्कि इससे बप्पा व्यक्ति के 21 तरह के दुखों करते हैं।