शिव या महादेवआरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाती है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
भगवान शिव की तीन आखें हैं ये बात तो सभी को पता है लेकिन बहुत कम लोगों को ही ये जानकारी होगी कि उन्हें तीसरी आंख आखिर कैसे मिली।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद जी भगवान शिव और माता पार्वती के बीच हुए बातचीत को बताते हैं। इसी बातचीत में त्रिनेत्र का रहस्य छुपा हुआ है, नारद जी बताते हैं कि एक बार हिमालय पर भगवान शिव एक सभा कर रहे थे, जिसमें सभी देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन शामिल थे। तभी सभा में माता पार्वती आईं और उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए अपने दोनों हाथों से भगवान शिव की दोनों आंखों को ढक दिया।
माता पार्वती ने जैसे ही भगवान शिव की आंखों को ढका, संसार में अंधेरा छा गया। ऐसा लगने लगा जैसे सूर्य देव का कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसके बाद धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में खलबली मच गई।
संसार की ये हालत भोलेनाथ से देखी नहीं गई और उन्होंने तुरंत ही अपने माथे पर ज्योतिपुंज प्रकट किया। बाद में जब माता पार्वती ने इस बारे में पूछा था भगवान शिव ने बताया कि अगर वो ऐसा नहीं करते तो संसार का विनाश हो जाता क्योंकि उनकी आंखें ही जगत की पालनहार हैं।