आम तौर पर हम और आप इंसानों को मच्छरदानी के अंदर सोते देखते हैं, लेकिन हम आपको आज बता रहे हैं बिहार के एक ऐसे गांव की कहानी जहां इंसान के साथ-साथ मवेशी यानि उनकी भैंसे और गाय भी मच्छरदानी के अंदर रहती हैं. आपको सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगा होगा, लेकिन यह कहानी है बिहार के कैमूर जिले की जहां के लोग मवेशियों को इंसानों की तरह रखते हैं.
कैमूर जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र के अमेठ पंचायत का सरेया गांव मोहनिया प्रखंड से सात किलोमीटर दूर बसा हुआ है. यहां की कुल आबादी लगभग 700 के आसपास है. खास बात यह है कि इस गांव में सिर्फ यादव बिरादरी के ही लोग रहते हैं.
सभी लोग गाय-भैंस रखे हुए हैं और खेती के साथ ही मूल रूप से दूध का भी व्यापार करते हैं.गांव के सभी लोग अपने जानवरों को मच्छर काटने को लेकर खासे परेशान थे.
मच्छर और मक्खी से मवेशियों को बचाने के लिए ग्रामीणों ने मच्छरदानी का उपयोग करना शुरू कर दिया. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में मच्छरों का प्रकोप बहुत ज्यादा है. हमारे पशु मच्छरों के काटने से परेशान रहते थे और इससे उनके दूध देने की क्षमता भी कम हो गई थी.
मच्छरों के कारण गांव की गाय और भैसें न दूध दिया करती थीं और न ही अच्छे से खाती और बैठ पाती थीं. मवेशियों को होने वाली समस्या से तंग आकर हम लोगों ने मच्छरदानी का प्रयोग करना शुरू किया. गांव में जितने भी पशु हैं उनके लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से मच्छरदानी सिलवाई गई.
शाम होते ही गाय और भैंसों को मच्छरदानी से पैक कर दिया जाता है. लोगों का कहना है कि इससे गाय प्रतिदिन एक से डेढ़ लीटर ज्यादा दूध देती है.