एक या दो नहीं, सौ से ज्यादा शिवलिंग, वह फिर एक ही गांव की परिसीमा में। सुन कर अजीब लगाता है। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से उत्तर दिशा की ओर करीबन 150 किलोमीटर की दूरी पर तिहड़ी ब्लॉक में है गांव नरेंद्र पुर।
इस गांव की कहानी सुन कर आपको अजीब लगेगा लेकिन बात सच है। यहां कि मिट्टी से फसल के बदले शिवलिंग उपजता है। गांव में हर जगह आपको शिवलिंग ही नजर आएगा। क्योंकि अगर कोई खेती या किसी भी काम से गड्ढा खोदता है तो मिट्टी के अंदर से शिवलिंग निकलता है।
नरेंद्र पुर गांव में जहां भी जाइये, सभी जगह शिवलिंग ही दिखाई देंगे। छोटे से लेकर बड़े इस तरह सौ से ज्यादा शिवलिंग गांव के विभिन्न कोने में पूजे जाते हैं। कितनों के लिए मंदिर बने है। लेकिन बहुत सारे शिवलिंग खुले आकाश के नीचे ही पूजे जाते हैं। जिसकों गांव वाले आबाल वृद्ध वनिता पूजा करते हैं।
अब यहां के लोग नहीं खोदते गड्ढा
कहा जाता है कि गांव के जिस जगह भी गड्ढा खोदोगे, वहां से कोई छोटा या बड़ा शिवलिंग दिखाई जरुर देगा। इसी भय से गांव की परिसीमा में गड्ढा खोदना प्राय बंद कर रखा है।
अपने गांव से उपजे इन शंकर भगवान को सभी गांव वाले बड़ी ही श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां के लोगों को पावन श्रावण की महिने में और कहीं जलाभिषेक करने जानेकी आवश्यक नहीं होगी। लोग अपने घर या आसपास में ही महादेव का जलाभिषेक करते हैं।