हनुमान चालीसा तुलसीदास की अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है[1] जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंग बली की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है।
कई बार हनुमान चालीसा पढ़ने पर भी उसके फल नहीं मिल पाते। जानते हैं क्यो? इसलिए कि आप इसे पढ़ने का सही तरीका या नियम नहीं जानते। तो आइए जानें कि हनुमान चालीसा पढ़ने के क्या नियम हैं।
नहा कर आप केवल टॉवेल पहन कर हनुमान चालीसा पढ़ते हों तो आप ऐसा करना बंद कर दें। नहा कर आप लाल कपड़े पहनें और खुद को सुखा लें, फिर आप पाठ करें।
जब भी आप चालिसा पाठ करें, पहले खुद को स्वच्छ करें। यानी सुबह के स्नान के बाद आ शाम को चालिसा न पढ़ें बल्कि शाम को फिर से नहाएं।
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय आप हमेशा बैठकर ही पाठ करें। इसके लिए ऊनी या कुशा के आसन का प्रयोग करें।
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय ध्यान सिर्फ ईश्वर भक्ति में ही लगा होना चाहिए। इधर-ऊधर की बातें सोचने से बचना चाहिए।
जिस स्थान पर हनुमान चालीसा का पाठ करें, वो जगह ही साफ-स्वच्छ होनी चाहिए। नहीं तो पूजा का पूरा फल नही मिल पाता।
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी की प्रतिमा के ठीक सामने बैठकर पाठ न करें।