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2 साल तक हिमालय की गुफाओं में भटकते रहे थे नरेंद्र मोदी, फिर एक साधू ने कही थी ये बात

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नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन ने अपने 12 साल के बेटे नरेंद्र की कुंडली वडनगर आए एक ज्योतिषी को दिखाई। तो उसे देख कर ज्योतिष ने कहा था कि या तो तुम्हारा बेटा या तो राजा बनेगा या फिर शंकराचार्य जैसा कोई महान संत। मेहसाना में 17 सितंबर 1950 को नरेंद्र मोदी का जन्म वृश्चिक लग्न कर्क नवांश वृश्चिक राशि में हुआ था।

बचपन के दिनों में नरेंद्र मोदी साधुओं को देख कर उनके पीछे पीछे जाने लगते थे ऐसे में उनके माता पिता को लगता था कि कहीं उनका बेटा कोई साधू ना बन जाए। इसलिए इस डर से बचने के लिए नरेंद्र से बिना पूछे ही उनके माता पिता ने उनकी शादी जसोदाबेन नाम की लड़की से उनकी शादी करा दी। बाल विवाह के दिनों में शादी के बाद लड़की को गौना रखने का प्रचलन था।

कुछ सालों बाद उनकी मां हीराबेन ने कहा कि नरेंद्र तुम्हारे गौने की बात अब चल रही है। ये सुनकर नरेंद्र मोदी ने सोचा कि इन चक्करों में कौन पड़ेगा इसलिए उन्होंने फैसला किया कि हिमालय जाकर जिंदगी की असली सच्चाई का पता लगाया जाए। बावजूद इसके नरेंद्र के गौने के लिए उन पर पूरे परिवार ने दबाव डाला। इसलिए रात के अंधेरे में ही नरेंद्र मोदी घर छोड़कर चले गए।

नरेंद्र मोदी, द आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न स्टेट की लेखिका कालिंदी रांदेरी के अनुसार, नरेंद्र मोदी 2 साल हिमालय की गुफाओं में साधुओं के साथ घूमते रहे। इस दौरान उन्हें वहां एक साधू मिला। साधू ने जब उनसे वहां आने का कारण पूछा तो मोदी ने बताया कि मैं भगवान की तलाश में यहाँ आया हूँ।

इसके बाद उस साधु ने कहा कि बेटा, तुम्हारी उम्र यहाँ गुफाओं में भटकने की नहीं है बल्कि तुम समाजसेवा करके भी भगवान की प्राप्ति कर सकते हो। इसके बाद नरेंद्र मोदी वापस आ गए लेकिन उन्होंने अपनी शादीशुदा जिंदगी से अलग ही रहने का फैसला किया। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी 17 साल की उम्र में ही संन्यास जीवन से प्रभावित होकर साल 1967 में कोलकाता को बेलूर मठ भी गए थे। उन दिनों उन्होंने स्वामी माधवानंद से मुलाकात की थी।