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योगी सरकार ने लिया ये फैसला, कभी स्कूल नहीं गए आदित्य को सीधे 9वीं क्लास में कैसे मिल रहा एडमिशन

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जरा सोचिए एक बच्चा जो कभी स्कूल न गया हो और उसकी उम्र महज 9 साल हो, लेकिन वह यूपी बोर्ड के हाईस्कूल लेवल का हर प्रश्न तुरंत सॉल्व कर दे, थोड़ा आश्चर्यजनक लगेगा। लेकिन प्रतिभा से भरी इस दुनिया में ऐसे ही एक होनहार छात्र की काबिलियत सामने आई है जिसे यूपी बोर्ड की कक्षा 9 में सीधे एडमिशन देने के प्रस्ताव को योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह होनहार लखनऊ का रहने वाला है और इसका नाम आदित्य है। वर्ष 2010 में जन्मे आदित्य की उम्र महज 9 साल है, लेकिन उसकी काबिलियत हाईस्कूल में पढ़ने वाले एक सामान्य बच्चे से भी अधिक है। आदित्य के माता-पिता चाहते थे कि इस वर्ष की हाईस्कूल की परीक्षा में आदित्य को बैठने का मौका दिया जाये। लेकिन, नियमों के फेर के चलते आदित्य को मौका नहीं मिल पाया।

9 वीं में सीधे ले सकता है एडमिशन

हालांकि सीएम योगी तक मामला जाने व शासन स्तर से अनुशंसा के बाद यूपी बोर्ड प्रयागराज से एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। जिसमें विशेष प्रतिभावान बच्चे का सीधे नौंवी कक्षा में दाखिला करने के लिये छूट व अनुमति का प्रस्ताव भेजा गया था। जिसे योगी सरकार से मंजूरी दे दी है और अब आदित्य सीधे 9वीं कक्षा में प्रवेश ले सकता है। हालांकि इससे आदित्य के माता पिता खुश नहीं हैं। वह चाहते हैं कि उनके बच्चे को इसी वर्ष सीधे 10वीं के बोर्ड एग्जाम में बैठने का मौका दिया जाये। लेकिन बोर्ड ने उम्र सीमा में तो छूट दे दी है, लेकिन 9वीं कक्षा में पंजीकरण के नियम के कारण उसे 9वीं में ही एडमिशन दिलाने को कहा है। फिलहाल बच्चे को माता-पिता एडमिशन दिलायेंगे, या बोर्ड में बैठने के लिये कोई और रास्ता तलासागें इसे भी देखना दिलचस्प होगा।

आदित्य के बारे में जानें

उत्तर प्रदेश की राजनधानी लखनऊ के एल्डिको उद्यान-टू रक्षाखंड रायबरेली रोड पर पवन कुमार आचार्य का परिवार रहता है। इसी परिवार में 17 अक्टूबर, 2010 को उनके बेटे राष्ट्रम आदित्य श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। बेटे की प्राथमिक और अभी तक की शिक्षा पिता व मां ने दी है। बच्चा कभी किसी स्कूल नहीं गया है और अब उसके माता पिता इसी उम्र में उसे बोर्ड की परीक्षा में बैठाना चाहते हैं। इसके लिये पवन आचार्य ने अक्टूबर 2018 में आवदेन किया और माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय से आग्रह किया कि उनके बेटे को सीधे हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा में बैठने का मौका दिया। उन्होंने दावा किया है कि राष्ट्रम आदित्य श्रीकृष्ण पढ़ने में बेहद ही मेधावी है। उसने प्राथमिक शिक्षा किसी विद्यालय में नहीं ली है, लेकिन उसकी घर पर ही ऐसी पढ़ाई कराई गई है कि वह सीधे हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल हो सकता है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इस मामले को यूपी बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव के पास भेजा था, जिसके बाद बोर्ड ने बच्चे से मुलाकात की और उसकी योग्यता को परखने के बाद शासन को प्रस्ताव भेजा था।

नियमों से अड़चन

यूपी बोर्ड की नियमावली में एडमीशन को लेकर कुछ प्रावधान हैं। जिसके अन्तर्गत हाईस्कूल में वहीं बच्चे शामिल हो सकते हैं, जिनका कक्षा 9 वीं में रजिस्ट्रेशन हुआ हो और यही क्रम इंटर में भी होता है, जिसमें बच्चे का 11 वीं में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य होता है। यही नियम अब आदित्य के एडमीशन में आड़े आ रहा है, जिसके कारण आदित्य को इस वर्ष 9 वीं क्लास में ही एडमीशन लेना होगा। जबकि यूपी बोर्ड का दूसरा नियम यह है कि हाईस्कूल के विद्यार्थी की उम्र 14 वर्ष होना अनिवार्य है। लेकिन उम्र के मामले में भी आदित्य मानक को पूरा नहीं करता। हालांकि बोर्ड ने उम्र सीमा में आदित्य को राहत दे दी है, लेकिन रजिस्ट्रेशन के मामले में उसे छूट नहीं मिल पायी है। जिसके कारण उसे 9 वीं में ही एडमीशन देने के लिये शासन से अनुमति मिली है।

पहले भी हुआ है ये कारनामा 
यूपी बोर्ड में हाईस्कूल की परीक्षा देने के लिये कम उम्र के मेधावियों का शामिल होना पहले भी हुआ है। इससे पहले दो बच्चियों को बोर्ड ने सीधे हाईस्कूल की परीक्षा में बैठाया था। इससे पहले लखनऊ की ही सुषमा वर्मा को बिना स्कूल गये सीधे 8 वीं कक्षा में प्रवेश मिला था और उस वक्त सुषमा की उम्र महज 8 साल थी। सुषमा के नाम ही सबसे कम उम्र में हाईस्कूल पास करने का लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड भी दर्ज है। बाद में सुषमा का कारनामा जारी रहा और 2015 में सुषमा ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई भी 15 साल की उम्र में शुरू कर दी थी। जबकि ऐसी एक बच्ची नैना जायसवाल के मामले में भी हुआ था और महज 7 वर्ष की उम्र में उसे नौंवी में एडमीशन दिया गया था। फिलहाल इस मामले में पवन आचार्य ने उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से भी मुलाकात की है और संभावना है कि नियमों में कुछ बदलाव किया जाये।