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वादे के बावजूद नहीं हो रही छत्तीसगढ़ में शराबबंदी, राजस्व के मोह में फंसी सरकार

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छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था. जैसे ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद किसानों का कर्ज माफ करने और धान का समर्थन मूल्य 2500 रूपए करने की घोषणा की, वैसे ही ग्रामीण महिलाओं ने आवाज उठाई कि शराबबंदी की ओर भी अब जल्द कदम बढ़ा जाए. इधर केंद्र सरकार की ओर से कुछ महीने पहले कराए गए एक सर्वेक्षण में बड़ी दिलचस्प और गंभीर जानकारी सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 10 से 75 साल के आयु वर्ग के 14.6 प्रतिशत लोग याने की करीब (16 करोड़) शराब पीते है. छत्तीसगढ़ देश में सबसे ज्यादा शराब पीने वाले राज्यों में शामिल हुआ है.

शराबबंदी को लेकर एक तरफ कांग्रेस सरकार इसको बंद करने की रणनीति तैयार कर रही है तो वहीं सूबे के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे है. यहां करीब 35% से अधिक लोग शराब पीते है. शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग है. शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है.

महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई 10546 करोड़ रुपए है. वहीं, छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है, यहां शराब से कमाई लगभग 4700 करोड़ रुपए है. इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए की है. महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है. आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित है, इनमें से 377 देशी शराब बेचती है और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है.

छत्तीसगढ़ के बाद सबसे ज्यादा शराबी त्रिपुरा, पंजाब, अरूणाचल प्रदेश और गोवा में पिया जाता है. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर ये सर्वेक्षण किया. ये सर्वेक्षण सभी 36 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में किया गया था. लेकिन तब से लेकर अब तक सरकार इसपर कमेटी बनाकर चुप बैठ गई है.

आबकारी मंत्री की दलील

इधर सूबे के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि केवल मीडिया और विपक्ष ही शराबबंदी की मांग करते है जबकि मुझसे मिलने वाले किसी भी शख्स ने आज तक शराबबंदी की मांग नहीं की. उनका कहना है कि शराबबंदी के लिए बनाई कमेटी के लिए बीजेपी और जोगी कांग्रेस ने अपने विधायक नहीं दिए इसलिए कमेटी अपना काम नहीं कर पा रही है. इतना ही नहीं आबकारी मंत्री का ये भी कहना है कि अगर प्रदेश में शराब की खपत बढ़ती भी है तो इससे मिलने वाले पैसों से विकास कार्य होंगे. वहीं बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा किया था. अब उसे पूरा करना चाहिए.