कबीरधाम जिले के बैगा आदिवासी बहुल पंडरिया विकासखण्ड के सुदूर और दुर्गम वनांचल में रहने वाली दशरी बाई सहित जिले की हजारों गर्भवती महिलाओं के लिए बाइक एम्बुलेंस वरदान साबित हो रही है। गर्भवती महिला दशरी बाई ग्राम दमगढ़ के आश्रित गांव ताईतीरनी निवासी है। उनका कहना है कि जंगल क्षेत्र के सभी गांवों के लिए बाइक एम्बुलेंस जीवन रक्षक के रूप में वरदान साबित हो रही है। वह बाइक एम्बुलेंस के माध्यम से कुकदूर के स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंच कर अपना नियमित रूप में स्वास्थ्य परीक्षण भी कराती है। आज भी वह इस बाइक एम्बुलेंस से स्वास्थ्य परीक्षण कर अपने गांव लौट रही थी, तभी वनांचल ग्रामों के दौरे पर पहुंचे कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपनी गाड़ी रुकवाकर बाइक एम्बुलेंस के मरीजों का हाल-चाल जाना। बाइक एम्बुलेंस में गभर्वती माता के साथ उनका छोटा बेटा और गांव की स्वास्थ्य मितानित कुल तीन महिलाएं बड़े आराम से बैठी थीं। ‘
कलेक्टर ने बाइक एम्बुलेंस चालक, गर्भवती महिला और स्वास्थ्य मितानिन से वातार्लाप शैली में एम्बुलेंस से मिलने वाले लाभ और फायदे की जानकारी ली। बाइक एम्बुलेंस की सेवाओं का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मितानिन सातीन बाई का कहना है कि बाइक एंबुलेंस की सेवा मिलने से वनांचल गांवों में सदियों से चली आ रही झाड़-फूंक की सामाजिक कुरीतियां तोडऩे और अंधविश्वास को दूर करने में मदद मिल रही है। गांवों में पहले जब मौसमी बीमारियां जैसे चिकनपॉक्स (माता), मलेरिया, डायरिया, उल्टी-दस्त और अन्य बीमारियां होती थीं, तब यहां के लोग पहले स्थानीय बैगाओं के पास पहुंचकर अपना इलाज कराते थे।
अब बाइक एम्बुलेंस की सेवाएं मिलने से वनांचल ग्रामों में जागृति आई है। कबीरधाम जिले में पांच बड़े वनांचल केन्द्र दलदली, बोक्करखार, झलमला, कुकदूर और छिरपानी में बाइक एम्बुलेंस की सेवाएं मिलने से अब तक 2 हजार 268 मरीजों को इस सुविधा का सीधा लाभ मिला है। 332 गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया गया। 346 शिशुवती माताओं को प्रसव के बाद सुरक्षित घर पहुंचाया गया। इसके साथ ही 1120 गर्भवती माताओं को नियमित स्वास्थ्य परीक्षण के लिए स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया। 293 बच्चों को टीकाकरण एवं मौसमी बीमारियों के उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। 166 मरीजों को आपात कालीन में स्वाथ्य केन्द्र पहुंचाकर उन्हे आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसी प्रकार 11 मरीजों को उप-स्वास्थ्य केन्द्र से रिफर कर सामुदायिक केन्द्र पहुंचाकर उन्हे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई गईं।