रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार आने के बाद बिल आधा होने तथा गर्मी की वजह से मांग बढ़ने के बावजूद 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता से गर्मियों में होने वाली आपात कटौती होने के बिल्कुल आसार नहीं है। राज्य में विधानसभा चुनावों के बाद पिछले दिसम्बर माह में नई सरकार के गठन के बाद 400 यूनिट तक के बिजली बिल पिछले माह से आधा किए जाने तथा लगातार पारा बढ़ने से गर्मियों की मांग में काफी इजाफा होने के बाद भी सरप्लस बिजली की उपलब्धता बनी रहने से राज्य विद्युत कम्पनी के अधिकारी राहत में है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कम्पनी के अध्यक्ष शैलेन्द्र शुक्ला ने स्वीकार किया कि बिजली बिल आधा होने से खपत बढ़ी है, और साथ ही गर्मियों के बढ़ने के साथ ही मांग में और इजाफा हुआ है,फिर भी इस सर्वाधिक मांग के सीजन में भी बिजली को लेकर कतई चिन्तित होने की जरूरत नही है।राज्य में इस समय बिजली की अधितकम मांग 4480 मेगावाट तक पहुंच गई है जबकि उपलब्धता 4630 मेगावाट है।
उन्होने कहा कि राज्य में शहरी एवं ग्रामीण सभी जगहं पर अनवरत 24 घंटे की बिजली की आपूर्ति हो रही है। स्थानीय स्तर पर लाईन की गड़बडियों की वजह से ही कहीं पर कुछ समय के लिए आपूर्ति भले प्रभावित हुई हो।इनका भी राज्य में औसत एक प्रतिशत से कम है।उन्होने बताया कि बिजली बिल आधा करने का लाभ उपभोक्ताओं को अप्रैल माह के देयक के साथ ही मिलने लगा है। शुक्ला ने कहा कि राज्य के इतिहास में पहली बार बढ़े हुए बिजली को राज्य सरकार ने आधा किया है। उन्होने बताया कि इस योजना का लाभ उन घरेलू उपभोक्ताओं को भी मिल रहा है जिन्होने फ्लेट दर का विकल्प चुना है। ऐसे उपभोक्ताओं को प्लेट रेट की दर पर सौ रूपए की बजाय पचास रूपए प्रतिमाह देना होगा।उन्होने बताया कि हाफ रेट का लाभ बकायेदारों को नही मिलेगा।
उन्होने बताया कि बकायेदार उपभोक्ताओं को बकाया जमा करने के बाद हाफ रेट का लाभ मिलने लगेंगा।उन्होने यह भी बताया कि बकायेदार बकाये की राशि को किश्तों में भी जमा कर सकते है। राज्य सरकार द्वारा पांच हार्स पावर तक के कृषि पम्पों को निशुल्क बिजली प्रदान की जा रही है। शुक्ला ने एक प्रश्न उत्तर में कहा कि कम हुए बिजली दरों का भार राज्य विद्युत कम्पनी पर नही पड़ेगा। राज्य सरकार ने इसके लिए बजट में चार सौ करोड़ रूपए का प्रावधान कर दिया है।उन्होने यह भी बताया कि कृषि पम्पों को निशुल्क बिजली देने से भी कम्पनी पर कोई भार नही पड़ेगा। राज्य सरकार ने इसके लिए 2164 करोड़ रूपए का बजटीय प्रावधान किया है।