रायपुर। यह मामला तब उठा जब बीते शनिवार को किरंदुल से 11 किलोमीटर दूर बचेली तक पैदल मार्च कर आदिवासी अपनी शिकायत एसडीओ को सौंपने आए। दंतेवाड़ा जिले के बचेली और किरंदुल में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम की दो परियोजनाएं बीते 60 सालों से चल रही हैं। हाल के वर्षों में बैलाडीला पहाड़ों में छिपे उच्च क्वालिटी के लौह अयस्क को निजी कंपनियों को सौंपने के लिए कई एमओयू किए गए हैं।
आदिवासी निजी कंपनियों को लोहा नहीं देना चाहते, इसी बात का विरोध है। आरोप है कि किरंदुल के हिरोली में अडानी को जो खदान दी गई है उसके लिए तो ग्राम सभा ही नहीं कराई गई। एनएमडीसी को जो पुरानी सहमति मिली थी उसी के आधार पर खदान अडानी को सौंप दी गई। जबकि आलनार में आरती स्पंज को जो खदान दी गई है उसमें फर्जी ग्राम सभा कराई गई है।
लोगों के विरोध के बाद भी ग्राम सभा की सहमति लिख दी जाती है। आदिवासियों ने सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले रैली निकाली। इसके बाद थोड़ी हलचल हुई लेकिन मामले की जांच नहीं की गई। कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा कह रहे हैं कि ग्राम सभा फर्जी कैसे होगी। सभी के दस्तखत उसमें हैं। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि कई लोगों के फर्जी अंगूठे लगाए गए। पढ़े लिखे बच्चों की गैर मौजूदगी में उनके बुजुर्ग मां-बाप से अंगूठा लगवाया गया।
यह है मामल
हिरोली में 706 हेक्टेयर 13 नंबर खदान की लीज एनएमडीसी को दी गई है। 2010 में हुए इस अधिग्रहण में फर्जी ग्राम सभा कराने का आरोप है। बाद में एनएमडीसी ने सीएमडीसी (छत्तीसगढ़ मिनरल डवलपमेंट कार्पोरेशन) से अनुबंध कर लिया। फिर सीएमडीसी ने अपना काम टेंडर के जरिए अडानी को सौंप दिया। 23 जनवरी 2019 को ग्रामीणों ने एक और ग्राम सभा की और अडानी की परियोजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।
फिर भी वहां काम शुरू हो चुका है। वहीं आलनार गांव में 31.55 हेक्टेयर भूमि आरती स्पंज रायपुर को दी गई है। इसका भी ग्राम सभा विरोध कर रही है। ग्रामीणों ने तो इस इलाके में जितनी भी ग्राम सभा हुई है सभी को फर्जी बताया है। इसमें जिंदल, एस्सार भी शामिल हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण
इस खदान से प्रभावित गुमियापाल के मंगल कुंजाम कहते हैं कि जब पूरा गांव विरोध में है तब कैसे ग्राम सभा सफल हो जाती है। 28 फरवरी को कोड़नार में एनएमडीसी की पहले से चल रही 11 सी खदान के नवीनीकरण को लेकर ग्राम सभा हुई। इसमें भी विरोध किया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
को सफल मान लिया गया। मंगल ने कहा कि हिरोली में पांच सौ की आबादी वाले गांव में सिर्फ 106 लोगों के हस्ताक्षर ग्राम सभा के प्रस्ताव में हैं। इनमें से ज्यादातर ने अंगूठा लगाया है। इसकी जांच होनी चाहिए।
ज्ञापन मिलेगा तो जांच करूंगा
कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने कहा कि अभी मुझे आदिवासियों को ज्ञापन नहीं मिला है। मिलेगा तो जांच करूंगा। उन्होंने कहा कि वैसे मैंने सारे दस्तावेज मंगाकर देखे हैं। ग्रामीणों ने दस्तखत किया है तो फर्जी कैसे होगा। हम तो सारे लोगों को बुलाकर ही ग्राम सभा कराते हैं। सबके सामने दस्तखत लिए गए हैं। अभी 28 फरवरी को कोड़ेनार में सबके सामने दस्तखत हुआ, ये लोग उसको भी फर्जी बोल रहे हैं। हम जहां भी ग्राम सभा कराने जाते हैं गांव के लोगों से ज्यादा बाहर के लोगों की भीड़ जुट जाती है और शोरगुल करने लगती है।
मेरे पास शिकायत भेजो तो देखूं
मंत्री कवासी लखमा ने विधानसभा में कहा था-अडानी को नहीं घुसने देंगे। इसके बाद ही आदिवासी सड़कों पर उतरे हैं। हालांकि लखमा को इस बारे में जानकारी नहीं है। बोले-मेरे पास शिकायत आई तो जांच कराऊंगा।