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एनआईटी रायपुर में पावर, कंट्रोल और कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी पर चौथे आई-ट्रिपल-ई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICPC²T 2025) का हुआ शुभारंभ

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रायपुर। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) रायपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने 20 जनवरी से 22 जनवरी 2025 तक तीन दिवसीय व चौथे आई-ट्रिपल-ई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, पावर, कंट्रोल और कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीपीसी²टी 2025) का शुभारंभ किया। उद्घाटन सत्र का आयोजन रायपुर के डीडीयू ऑडिटोरियम के संकल्प हॉल में हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री हेमंत वर्मा, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग (सीएसईआरसी) रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. एन.पी. पाढ़ी, निदेशक, मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जयपुर और डॉ. एन.वी. रमना राव, निदेशक, एनआईटी रायपुर , प्रो ओम मलिक ,(fellow IEEE) उपस्थित थे। सत्र में प्रसिद्ध अकादमिक हस्तियों और प्रमुख वक्ताओं की उपस्थिति भी रही, जिनमें प्रो. अक्षय कुमार राठौर, सिंगापुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी; प्रो. निलेश जे. वासा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास; प्रो. विनोद खडकीकर, खलीफा यूनिवर्सिटी, यूएई, और प्रो. बिप्लब सिकदर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर शामिल थे।
इस सम्मेलन की कुशल अध्यक्षता प्रो. अनामिका यादव, सम्मेलन की अध्यक्ष और एनआईटी रायपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख ने की। इस कार्यक्रम का सफल आयोजन आयोजन समिति के सम्मेलन सचिवों के सहयोग से सफल हुआ, जिसमें डॉ. मोनालिसा बिस्वाल, डॉ. वेणु सोन्टी , डॉ ललित कुमार साहू और डॉ. रम्या सेल्वराज, शामिल थे। यह हाइब्रिड सम्मेलन आई-ट्रिपल-ई मध्य प्रदेश सेक्शन, आई-ट्रिपल-ई आईएएस, आई-ट्रिपल-ई पीईएलएसऔर एनआईटी रायपुर के आई-ट्रिपल-ई स्टूडेंट सेक्शन के सहयोग से आयोजित किया गया।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत पारंपरिक दीप पप्रज्ज्वलन और राष्ट्रीय गीत “वन्दे मातरम्” के गायन से हुई, इसके बाद अतिथियों और मुख्य वक्ताओं का स्वागत पौधों और शॉल से किया गया। डॉ. अनामिका यादव ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने आई-ट्रिपल-ई द्वारा प्रायोजित चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, पावर, कंट्रोल, और कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीपीसी²टी) को एक वैश्विक ज्ञान साझा करने का मंच बताया ।
डॉ. एन.वी. रमना राव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और आयोजकों को 180 पेपरों के साथ हाइब्रिड कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने पर बधाई दी। डॉ. राव ने सम्मेलन के केंद्रित विषयों जैसे ऊर्जा प्रवाह, स्मार्ट ग्रिड्स, सोलर थर्मल ऊर्जा, औद्योगिक स्वचालन, ईवी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया, और ईवी अपनाने में 14% की वृद्धि का उल्लेख किया। उन्होंने आईओटी, एआई, एमएल, ब्लॉकचेन और कंप्यूटिंग के उपयोगों पर भी चर्चा की, जो ऊर्जा प्रणालियों, लोड मांगों के समाधान और स्मार्ट इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स के उन्नति में सहायक हैं।
प्रो. निलेश जे. वासा ने आईसीपीसी²टी जैसे आयोजनों में भागीदारी के महत्व पर जोर दिया, और बताया कि ये कार्य्रक्रम शोध में प्रगति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विशाल अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को सम्मेलन के दौरान प्राप्त ज्ञान और कनेक्शन का उपयोग करके नवाचार समाधान में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। प्रो. अक्षय कुमार राठौर ने रायपुर के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों पर विचार व्यक्त किए और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल ड्राइव्स में हुई प्रगति के बारे में जानकारी साझा की, जिनका ऊर्जा संचारण में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रो. बिप्लब सिकदर ने आधुनिक प्रौद्योगिकी में IoT और नेटवर्क सुरक्षा की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया और तकनीकी विकास में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। प्रो. विनोद खडकीकर ने प्रतिभागियों को सम्मेलन को केवल पेपर प्रस्तुतियों से अधिक देखने और संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। प्रो. ओम मलिक, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगरी के प्रोफेसर एमेरेटस और कनाडा के लाइफ फेलो ने बढ़ते वैश्विक तापमान और शहरीकरण से प्रेरित ऊर्जा की मांग के बीच स्थायी ऊर्जा समाधानों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कंट्रोलर्स और विंड पावर में अपनी विशेषज्ञता के साथ, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और पावर नेटवर्क्स के पुनर्गठन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
प्रो. एन.पी. पाढ़ी ने भारत में ऊर्जा से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें पावर कट्स शामिल हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान घंटों बिजली कटौती होती है। ट्रांसमिशन के दौरान ऊर्जा की हानि 5-6% तक होती है, जबकि आत्म-उत्पादन से 4-6% अतिरिक्त ऊर्जा प्राप्त हो सकती है। डॉ. पाढ़ी ने यह भी बताया कि वर्तमान में ऊर्जा आवश्यकता का 50% पूरा नहीं हो पाता, और देश की 400 GW क्षमता के बावजूद केवल 200 GW की आपूर्ति हो पाती है। उन्होंने राष्ट्रीय समस्याओं को अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों के माध्यम से हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इस संदर्भ में इंजीनियरों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
श्री हेमंत वर्मा, जिनके पास पावर सेक्टर में 29+ वर्षों का अनुभव है, ने उपस्थितगण का स्वागत किया और पावर कंट्रोल और कंप्यूटिंग तकनीकों के वैश्विक प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने सभी के लिए लाभों को सुलभ बनाने के महत्व को बताया और प्रौद्योगिकीय अंतर को पाटने में अंतरविभागीय अध्ययन की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में ऊर्जा की कोई कमी नहीं है, फिर भी प्रौद्योगिकी और उपभोक्ता आधार से जुड़ी समस्याएं हैं, जिन्हें सभी की ध्यान देने की आवश्यकता है।
समारोह का समापन डॉ मोनालिसा बिस्वाल के धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रीय गीत “जन-गण-मन” के गायन के साथ हुआ। इस तीन दिन्नी सम्मेलन का उद्देश्य पावर, कंट्रोल और कंप्यूटिंग तकनीकों में अकादमिक, शोधकर्ताओं और इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स के बीच ज्ञान साझा करने और सहयोग को बढ़ावा देना है।