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पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड मामले में SIT का बड़ा खुलासा, आरोपी सुरेश ने हत्या से कुछ दिन पहले बैंक खाते से निकाली थी बड़ी रकम

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बीजापुर। पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड मामले में एसआईटी ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच के दौरान यह सामने आया कि मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर ने वारदात से 4-5 दिन पहले अपने भाई रितेश चंद्राकर, सहयोगी महेंद्र रामटेके और दिनेश चंद्राकर के साथ मिलकर मुकेश की हत्या की साजिश रची थी। इसके बाद रितेश और महेंद्र रामटेके ने चट्टानपारा स्थित बाड़े में मुकेश की हत्या की और सेप्टिक टैंक में उसके शव को डालकर छिपा दिया। इस दौरान रितेश और सुरेश के भाई देवेंद्र ने उनकी मदद की थी। फिलहाल इस हत्याकांड के सभी आरोपी 15 दिन की न्यायिक रिमांड पर हैं।

बता दें कि आईपीएस मयंक गुर्जर के नेतृत्व में बनाई गई 11 सदस्यीय एसआईटी टीम इस हत्याकांड की जांच कर रही है। अब तक की जांच में टीम ने अपनी नियमित जांच के अलावा AI और OSINT Tools जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए आरोपियों के खिलाफ महत्वपूर्ण साक्ष्य इकट्ठा किए हैं।

SIT की जांच में अब तक हुए ये खुलासे
गुमशुदगी रिपोर्ट और शुरुआती जांच

  • 2 जनवरी 2025 की शाम 8 बजे पत्रकार युकेश चंद्राकर ने अपने कुछ साथियों के साथ थाने आकर उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
  • मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक बीजापुर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मुकेश की पतासाजी के लिए सायबर सेल और पुलिस अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए।
  • जांच के दौरान पुलिस को अलग-अलग जगहों पर मुकेश के लोकेशन मिले, जिसपर उन्होंने मौके पर जाकर जांच की लेकिन उन्हें वहां कुछ नहीं मिला।
  • इस दौरान मुकेश के भाई युकेश ने G-mail पर अपडेट हुई मुकेश की लास्ट लोकेशन पुलिस से साझा की, जो चटूटानपारा स्थित सुरेश चंद्राकर का बैडमिंटन कोर्ट था।
  • पुलिस ने जब मौके पर पहुंचकर जांच की तो वहां 17 लेबर कमरे बने हुए थे, जिन पर ताले लगे थे। पुलिस ने जब ताले खुलवाने के लिए सुरेश से संपर्क किया तो उसने बीजापुर से बाहर होने की बात कही। इसके बाद जब वह वापस आया तब पुलिस ने उसके सामने सभी कमरों को खुलवाकर चेक किया, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। वहीं पास में मौजूद बने नए सेप्टिक टैंक के फ्लोरिंग के बारे में पूछने पर सुरेश ने बाथरूम के रेनोवेशन का कार्य जारी होना बताया। आगे की पूछताछ में सुरेश ने पुलिस को बताया कि बीते 2 साल से उनकी मुकेश से बात नहीं हुई है और इसके अलावा वह कुछ नहीं जानता है। इसके बाद पुलिस ने सभी संदेहियों और मुकेश चंद्राकर की CDR डिटेल निकलवाने के लिए सायबर सेल के माध्यम से प्रतिवेदन भेज दिया।

हत्या की अगली सुबह टोल प्लाजा के CCTV पर नजर आया रितेश
संदेह के आधार पर पुलिस रितेश से पूछताछ करने के लिए उसकी पतासाजी कर रही थी, इस दौरान हाईवे के अलग-अलग स्थानों में लगे टोल प्लाजा के CCTV फुटेज खंगालने पर पुलिस को 2 जनवरी की सुबह करीब 8 बजे कोण्डागांव टोल प्लाजा के CCTV फुटेज में रितेश की गाड़ी नजर आई, जब आगे ट्रैक किया गया तो रायपुर एयरपोर्ट की पार्किंग में शाम के समय रितेश की गाड़ी नजर आई। इसके बाद टीम ने एयरपोर्ट से उस समय की फ्लाईट से आने-जाने वालों की डिटेल ली। जांच में यह बात सामने आई कि रितेश ने 2 जनवरी को रायपुर से दिल्ली के लिए ऑनलाइन टिकट बुक की थी। यहीं से पुलिस का शक उस पर गहरा गया। इसके बाद पुलिस ने रितेश को रायपुर एयरपोर्ट से हिरासत में लेकर बीजापुर ले आई।

कॉल डिटेल में रितेश के खिलाफ मिले अहम साक्ष्य
इस बीच पत्रकार मुकेश और उसकी हत्या के संदेहियों की CDR डिटेल्स की जांच में यह बात सामने आई कि मुकेश ने आखिरी बार रितेश से ही फोन पर बात की थी। इस आधार पर पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी थी कि रितेश का मुकेश की गुमशुदगी से प्रत्यक्ष रूप से कोई न कोई संबंध जरूर है।

जिला अस्पताल से रितेश के भाई दिनेश को किया गिरफ्तार
जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि वारदात के वक्त रितेश और सुरेश का भाई दिनेश भी मौके पर मौजूद था। यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने उसे कॉल किया लेकिन उसका नंबर लगातार बंद आ रहा था। इस बीच पुलिस को पता चला कि दिनेश जिला अस्पताल बीजापुर में अपना इलाज करवा रहा है। इसके बाद पुलिस ने डॉक्टर से अनुमति लेकर दिनेश से पूछताछ की, जिसमें पहले तो उसने गोल-मोल जवाब देकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। जब पुलिस ने उसे CDR डिटेल्स और लोकेशन के आधार पर पूछताछ के आधार पर कड़ाई से पूछताछ की तो वह टूट गया और उसने बताया कि उसके भाई रितेश और साथी महेंद्र रामटेके ने मुकेश की लोहे की रॉड से मारकर हत्या की है। दिनेश ने पुलिस को बताया कि घटना में प्रयुक्त लोहे की रॉड, कपड़े और मोबाइल वगैरह ठिकाने लगाने में उसने आरोपियों की मदद की थी।
दिनेश के बयान के आधार पर पुलिस ने महेंद्र रामटेके की पतासाजी की और उसे बस स्टैंड से गिरफ्तार किया। पुलिस की पूछताछ में उसने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया। दिनेश और महेंद्र से पूछताछ में यह बात सामने आई कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर का भाई था और उसने उनके ही ठेका कार्य के खिलाफ न्यूज चलाई थी। इस बात से नाराज होकर सुरेश ने उसकी हत्या की साजिश रची थी, जिसे दिनेश और महेंद्र ने मिलकर बैडमिंटन कोर्ट के पास बने कमरे नंबर 11 में अंजाम दिया था। इसके बाद दिनेश ने पूर्व से सुनियोजित योजना के मुताबिक, साक्ष्य छुपाने और इनको फरार करने में मदद की। आरोपियों ने वारदात के वक्त सुरेश चंद्राकर को बाहर रखा ताकि उस पर किसी को संदेह न हो।

सेप्टिक टैंक में मिला मुकेश का शव
महेंद्र रामटेके की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने विधिवत तरीके से कार्रवाई करते हुए नगरपालिका के कर्मियों और एफएसएल टीम की मौजूदगी में बैडमिंटन कोर्ट के सेप्टिक टैंक की खुदाई की, जहां उन्हें मुकेश चंद्राकर का शव मिला। यह सूचना आसपास के लोगों को मिलने के बाद मौके पर भीड़ इकट्ठा हो गई, जिसके मद्देनजर मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया और मुकेश का शव सेप्टिक टैंक से निकालकर विधिवत् पंचनामा, घटनास्थल का फोरेंसिक निरीक्षण करने के बाद उसे मर्चुरी भेजा।

दिनेश, महेंद्र और रितेश से पूछताछ के बाद पुलिस ने घटना में प्रयुक्त वाहन, मिक्सर मशीन, भागने में उपयोग में लाए गए वाहन, घटना में प्रयुक्त आला जरब लोहे और अन्य भौतिक साक्ष्यों को बरामद किया। पकड़े जाने के डर से आरोपी पुलिस को गुमराह करने के लिए मुकेश के दो स्मार्टफोन को बिना स्विच ऑफ किए तुमनार नदी के पास लेकर गए और वहां पत्थरों से चकनाचूर कर पानी में फेंक दिया, जिसकी तलाश फिलहाल गोताखोरों द्वारा की जा रही है।

दिनेश, महेंद्र और रितेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर की तलाश में जुट गई। इस दौरान टीम को पता चला कि सुरेश बीजापुर से इनोवा वाहन से कहीं बाहर चला गया है। इसके बाद सुरेश की गिरफ्तारी के लिए चार अलग-अलग टीमें उसके पीछे भेजी गई। इन टीमों ने लगातार 48 घंटे तक सुरेश को ट्रैक किया और उसे 5 जनवरी की रात हैदराबाद से गिरफ्तार किया। पुलिस की पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया और बताया कि मुकेश ने अपने चैनल में उसके खिलाफ खबर लगाई थी, जिसके चलते उसके खिलाफ जांच बैठ गई। इसी का बदला लेने के लिए उसने इस वारदात को अंजाम दिया।

पुलिस को मिले घटना से जुडे़ अहम साक्ष्य
बता दें कि एसआईटी टीम द्वारा सभी गिरफ्तार आरोपियों को अलग-अलग रखकर लगातार दो दिन, दो रात तक उनके मोबाइल खंगालकर और CDR के आधार पर इंट्रोगेशन किया गया। जिससे बहुत से महत्वपूर्ण तथ्य घटना से संबंधित साक्ष्य मिले हैं, जिन्हें विवेचना में लिया गया है और पृथक से जांच की जा रही है। विवेचना के दौरान एसआईटी टीम ने घटनास्थल का दो बार रिक्रियेशन आरोपियों से करवाया। एफएसएल टीम, जगदलपुर से भी पृथक से रूम नंबर 11 और अन्य संबंधित स्थानों का सूक्ष्म निरीक्षण करवाया गया, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण भौतिक साक्ष्य पुलिस को मिले हैं। घटनास्थल अब भी सील रखा गया है, हर पहलू की बारीकी से विवेचना की जा रही है। एसआईटी टीम ने सभी पूछताछ, तलाशी, जब्ती कार्रवाई की वीडियोग्राफी करवायी है और उन्हें विधिवत साक्ष्य में लिया है।

पुलिस ने 50 से अधिक संबंधित लोगों से की पूछताछ
जांच के दौरान पुलिस ने 50 से अधिक संबंधित लोगों से पूछताछ की है, जिससे कुछ अति महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। उनका विधिवत संग्रहण केस डायरी में एसआईटी टीम द्वारा किया गया है। सभी आरोपियों के मोबाइल नंबरों में बहुत से डाटा डिलीट मिले हैं, जिनका लैब से परीक्षण कराया जा रहा है। घटनास्थल से जब्त साक्ष्य और आरोपियों द्वारा बरामद कराए गए आला जरब, कपड़े और अन्य साक्ष्यों का भी फोरेंसिक जांच कराने के लिए कार्रवाई की जा रही है। मामले में सभी चार आरोपियों को 15 दिन के लिए न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।

सुरेश चंद्राकर ने वारदात के पहले बैंक से निकाली थी बड़ी रकम
गौरतलब है सुरेश चंद्राकर और उससे जुड़े उसके संबंधियों की संपत्ति की विस्तृत जानकारी ली जा रही है। बैंकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुरेश ने अपने बैंक खाते से 27 दिसंबर 2024 को, यानी मुकेश की हत्या के चार दिन पहले एक बड़ी रकम निकाली है, जिसके संदर्भ में एसआईटी द्वारा विस्तृत जांच की जा रही है।

मामले की जांच के लिए AI टूल्स और अन्य राज्यों की पुलिस ने की मदद
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए महाराष्ट्र, तेलंगाना और उड़ीसा पुलिस की मदद ली गई थी। इसके अलावा, मामले की जांच में आधुनिक A.I. और OSINT टूल्स का उपयोग किया गया है। पुलिस ने आरोपियों से 4 फोर व्हीलर, मिक्सर मशीन और 100 से अधिक CDR जप्त किए हैं। एसआईटी टीम ने विधि अनुसार साक्ष्य संकलित कर हर पहलू की गहन जांच की है। राज्य और संभाग स्तरीय अधिकारियों द्वारा इस मामले की दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं।