दुर्ग। छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध पंडवानी गायन विधा को विदेशों तक पहुंचाने वाली पद्मश्री, पद्मविभूषण और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. तीजन बाई की सेहत में लगातार गिरावट आ रही है। अब उनकी आवाज भी पहले जैसी नहीं रही, और वे बात करना भी बंद कर चुकी हैं। इससे उनके प्रशंसकों में चिंता का माहौल है, क्योंकि अब शायद हमें उनकी आवाज फिर से सुनने को न मिले।
गनियारी गांव की निवासी और पारधी समाज से ताल्लुक रखने वाली डॉ. तीजन बाई ने अपना पूरा जीवन पंडवानी गायन विधा को समर्पित किया है। उन्होंने अपनी कला से छत्तीसगढ़ की पहचान को दुनिया भर में पहुंचाया है। उन्हें रविशंकर विश्वविद्यालय द्वारा शोध परक कामों में शामिल किया गया है और उन्हें डी.लिट. और पीएचडी की उपाधियां भी प्राप्त हैं। बॉलीवुड ने भी उनके जीवन पर फिल्म बनाने के लिए अनुबंध किया था, लेकिन वह योजना अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
हालांकि, डॉ. तीजन बाई को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से अब तक कोई पेंशन नहीं मिल पाई है, और संस्कृति विभाग भी उनके जैसे कलाकारों के लिए कोई योजना तैयार नहीं कर सका है। जबकि डॉ. तीजन बाई जैसे कलाकारों के कारण ही छत्तीसगढ़ को वैश्विक पहचान मिली है। अब उनकी बिगड़ती सेहत और राज्य सरकार की लापरवाही के कारण उनके प्रशंसक और साथी कलाकार दुखी हैं।