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सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में चार दिवसीय वार्षिक मेला के दूसरे दिन सिद्ध चक्र महामंडल विधान का समापन।

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  • पावागिरि से जुड़े भक्तों ने क्षेत्र की प्राचीनता और वार्षिक मेला के बारे में रखे अपने विचार।

ललितपुर। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि की पावन धरा पर आचार्य सुमति सागर महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता जी, विश्वयश मति माता जी, क्षुल्लिका आप्तमति माता के मंगलमय सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. पारस भैया प्रशम के निर्देशन में नित्यमय अभिषेक शांतिधारा एवं अतिशय युक्त चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी के मस्तिकभिषेक से रविवार को मेला का शुभारम्भ हुआ। दूसरे दिन सिद्ध चक्र महामंडल विधान के समापन पर विश्वशांति महायज्ञ एवं हवन का आयोजन एवं भक्तामर पाठ का शुभारम्भ किया। मेला के संदर्भ में हुयी वार्ता के क्रम में पूर्व मंत्री राजकुमार जैन पवा कहते हैं कि क्षेत्र की पावन धरा को अपनी साधना स्थली बनाकर स्वर्णभद्र, गुणभद्र, मणिभद्र और वीरभद्र आदि असंख्यात मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया, जिसका उत्सव मनाने के लिये प्रतिवर्ष अगहन वदी द्वितीया से अगहन वदी पंचमी तक विश्व प्रसिद्ध वार्षिक मेला का आयोजन किया जाता है। पूर्व अध्यक्ष अभय कुमार जैन विरधा कहते हैं कि क्षेत्र के वार्षिक मेला में देश के कोने-कोने से धर्माबिलम्बी पहुँचकर पुण्यार्जन करते हैं, जिसका उन्हें वर्षभर इंतजार रहता है। पूर्व कोषाध्यक्ष कैलाश चंद्र जैन गेवरा कहते हैं कि बुंदेलखंड का यह प्रसिद्ध अद्वितीय वार्षिक मेला क्षेत्र की संस्कृति और सभ्यता की पर्याय है। धर्मश्रेष्ठी राजेंद्र कुमार जैन टूंका वाले कहते हैं सदियों से यह मेला जैन युवक-युवतियों के विवाह के लिये जाना जाता रहा है, जिस परम्परा को बनाये रखने के लिये प्रयास सम्बन्ध को जोड़ने के क्रम में दर्शन परिवार इंदौर द्वारा विवाह योग्य युवक-युवतियों के बायोडाटा का संकलन किया जाता है। पूर्व सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद प्रदीप कुमार जैन विश्व परिवार रायपुर कहते हैं कि पवा जी, सिरोंन जी, देवगढ़ जी, करगुवां जी, पपौरा जी, चंदेरी जी और थूबौन जी यह सात दर्शनीय भोंयरे एक ही दानवीर परिवार देवपत-खेवपत ने बनबाये हैं। समाजसेवी प्रवीन कुमार जैन कड़ेसरा कहते हैं क्षेत्र के प्राचीन भोंयरे में लगभग 800 वर्ष प्राचीन मूलनायक भगवान पारसनाथ, बड़े बाबा आदिनाथ, अजितनाथ, सम्भवनाथ, मल्लिनाथ और नेमिनाथ भगवान की मनोहारी प्रतिमाएं विद्यमान हैं जिनके दर्शन से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। पूर्व कोषाध्यक्ष राजेंद्र कुमार जैन विरधा कहते हैं क्षेत्र का इतिहास अति प्राचीन है जब जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभ स्वामी का सम्भोशरण सिद्ध क्षेत्र सोनागिरि आया उसी समय स्वर्ण भद्रादि मुनिराजों का पदविहार पावागिरि के लिए हुआ था। जयकुमार जैन ढकरई वाले कहते हैं क्षेत्र का प्राकृतिक सौन्दर्य अवरणीय है, यहाँ भोंयरे के अतिरिक्त चौबीसी, त्रिकाल चौबीसी, सात जिन मंदिर, मानस्तम्भ, चरण छतरी एवं चार मुनि कूट एवं गुफाएं विशेष दर्शनीय हैं। संजय जैन बबीना कहते हैं अत्यंत मनोहारी पावागिरि के दर्शन कर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा ने बताया 19 नवंबर को भक्तामर पाठ का समापन विश्व शांति महायज्ञ, हवन एवं दोपहर में नवनिर्मित कार्यालय का भव्य उद्घाटन के उपरांत विमानोत्सव, जल विहार, गजरथ वेदी पर कलशाभिषेक एवं रात्रि में विराट कवि सम्मलेन का आयोजन किया जायेगा। कार्यक्रम में अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन पुरा, जयकुमार जैन कंधारी एवं कोषाध्यक्ष उत्तमचंद्र जैन भड़रा सहित क्षेत्र प्रबंध कार्यकारिणी समिति व सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। आभार व्यक्त संयुक्त मंत्री विकास भंडारी एवं उपमंत्री आकाश चौधरी ने किया।