बता दें कि उदंती वन्यजीव अभयारण्य के उपसंचालक को मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग चितल की खाल को बेचने की फ़िराक में है। इस सूचना के आधार पर उदंती वन्यजीव अभयारण्य के उपसंचालक ने टीम तैयार की। इसके बाद टीम ने खरीददार बनकर ओंकारबंद में तस्करों से संपर्क किया और दस हजार रुपये में सौदा तय किया। जब आरोपी खाल लेकर आए, तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों की पहचान मानसिंग (40), सुकालु (45), हरक (40), गिरधर ध्रुव (38), और पिलाराम बेलदार (50) के रूप में हुई है।
पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि एक महीने पहले ओंकारबंद के जंगल में चीतल का शिकार कर मांस खा लिया था और बची हुई खाल को दस हजार रुपये में बेचने की योजना बना रहे थे। वन विभाग ने आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9, 39(3), 44(1), 48, और 51 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें बागबाहरा न्यायालय में पेश किया है। जब्त की गई सामग्री में चीतल की पूरी खाल और तेंदुए के सिर की खाल शामिल हैं। वन विभाग ने बताया कि इनमें से कुछ आरोपी आदतन शिकारी हैं।