कोटा। अष्टानिका महापर्व व श्री इन्द्रध्वज मण्डल विधान के छठे दिन नसिया जी जैन मंदिर दादाबाड़ी कोटा में पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के शिष्य चतुर्थ कालीन चर्या धारक मुनि श्री 108 शाश्वत सागर जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि जीवन एक यात्रा है और यात्रा है तो रास्ता भी है और मंजिल भी है हर जीव को जीवन जीने के लिए शक्ति की आवश्यकता है और यह शक्ति जीव गर्भ अवस्था से ही प्राप्त करना शुरू कर देता है अभिमन्यु गर्भ में ही चक्रव्यूह में प्रवेश करने की विद्या सीख गया था अतः महिला को गर्भ धारण करने पर ज्ञान की बाते सावधानी से जानना चाहिए लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है वर्तमान में स्कूल कालेज में ही छात्र बिगड़ने की राह पर चल रहे है मां को सुधारना आवश्यक है क्योंकि मां ही है जो परमात्मा को जन्म देती है पूजन जयमाला विधान से अनन्त पुण्य अर्जन होता है सुख का निवास आत्मा में होता है प्रचीन काल में अध्ययन आध्यात्म से प्रारम्भ होता था न्याय नीति प्रमुख अंग होते थे वर्तमान पढ़ाई में में यह देखने को नहीं मिल रहा है श्रावकाचार में आया है जो सुख तुम चाहते हो वो तुम्हे ऐसे ही नहीं मिलेगा सुख कर्मों के अधीन है अतः अपने कर्म करते समय ध्यान रखना है सावधानी रखनी है हमे अपने पुरुषार्थ करने में गलती नहीं करना है हृदय की विशालता व्यापकता हमे भगवान बनाती है माँ के गर्भधारण पर जो मां करती है जो सोचती है वो ही प्रभाव शिशु पर पड़ता है अतः आपको ध्यान रखना है ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे गर्भस्थ शिशु पर विपरीत प्रभाव पडे लेकिन आजकल महिलाए कमाने लग गई तो इन पर ध्यान नहीं रखा जा रहा है संसार स्वार्थ से भरा हुआ है जो महिला शील को छोड देती है उसमे पाप करने की ताकत अनन्त गुणी बढ़ जाती है शील व्रत का पालन आवश्यक है इससे शक्ति सामर्थ बढ़ता है वर्तमान में पूजा करने वाले घटते जा रहे है।
ये तो सुधासागर जी महाराज का कमाल है कि गाँव- गाँव, शहर- शहर में हजारों पूजा करने वाले श्रावक तैयार कर दिए है बालिकाओं के लिए श्रमण संस्कृति संस्थान खोला ये उनका उपकार है तुम्हारे (समाज) उपर
सयोजक धर्मचन्द धनोप्या ने बताया कि कि इस अवसर पर शान्तिधारा व भक्तामर विधान राजेन्द्र जी हुकम काका परिवार, विवेक जी ठोरा परिवार समृद्धि जैन (वर्धा) के जन्म दिवस पर की गई।
निदेशक हुकम जैन काका ने बताया कि 111 इन्द्र-इंद्राणियों के द्वारा श्री इंद्रध्वज महामंडल, विधान में विद्युन्माली मेरु संबंधी और जिनालय की 7 पूजा के माध्यम से इंद्र परिवारों द्वारा 80 आकर्षक ध्वजाये जिन चैत्यालयों पर चढ़ाई गई ।
कोषाध्यक्ष मनीष जैन मोहिवाल ने बताया कि इस अवसर पर प्रकाश चंद – इंद्रा जी मडिया, रिषभ -चाँद देवी मोहिवाल, राजेन्द्र – राजेश जैन,तेजमल- चितरंजन जैन पोरवाल, महेंद्र -गीता जी धानोत्या आंवा, श्रीमती सुशीला – अजय कंजोलिया और कार्यकारणी व महिला मण्डल की अनेक महिलाये समाज जन उपस्थित थे विद्वान व्याख्याता श्री हेमंत शास्त्री के प्रवचन प्रतिदान हो रहे है। एवम सतेन्द्र जैन एंड पार्टी का मधुर स्वर संगीत दे रहे हें।