Home बिलासपुर आईपीएस जीपी सिंह को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, सभी FIR निरस्त

आईपीएस जीपी सिंह को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, सभी FIR निरस्त

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बिलासपुर। आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग के आरोप के मामले में IPS अधिकारी जीपी सिंह को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों FIR को रद्द कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि झूठे मामले दर्ज कर उन्हें परेशान करने की कोशिश की गई है।
छत्तीसगढ़ के 1994 बैच के IPS अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ 2021 में ACB ने उनके सरकारी आवास सहित कई ठिकानों पर छापे मारे थे, जिसमें 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज़ बरामद किए गए थे। इसके बाद उन पर सरकार गिराने की साजिश के आरोप में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। इसके पहले 30 अप्रैल को छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी IPS जीपी सिंह को CAT (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिली थी। CAT ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया था। जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
ACB ने जुलाई 2021 को सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्थानों पर छापा मारा था। इसमें 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ कई संवेदनशील दस्तावेज मिले थे। इसके बाद ACB ने जीपी सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की थी। वहीं दूसरी ओर सरकार ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड कर दिया और 8 जुलाई की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे। 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर CBI जांच की मांग की थी।
मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिल गई। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने IPS जीपी सिंह को भारत सरकार ने कंपलसरी रिटायर कर दिया था। तब जीपी सिंह की सेवा के 8 साल बचे थे। आरोप था कि उनके सरकारी बंगले से कुछ चिट्ठियां, फटे हुए पन्ने और पेन ड्राइव मिली थीं, जिसकी जांच में सरकार विरोधी गतिविधियों की बात सामने आई थी। इसी के आधार पर उनके खिलाफ FIR दर्ज किया गया। पुलिस की FIR को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने षड्यंत्र के तहत झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया है।