नई दिल्ली। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज आज तीन दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. वे आज रात नई दिल्ली पहुंचेंगे. शुक्रवार को वे यहां प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. उसके बाद वो 7वें अंतर सरकारी परामर्श (IGC) में हिस्सा लेंगे. सरकारी कार्यक्रम के बाद स्कोल्ज गोवा जाएंगे और वहां से वापस जर्मनी के लिए उड़ान भरेंगे. जर्मनी उम्मीद कर रहा है कि भारत के बड़े बाजार में पकड़ बनाई जाए और चीन पर निर्भरता को कम किया जा सके।
दरअसल, जर्मनी उम्मीद कर रहा है कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाया जाए, जिससे चीन पर निर्भरता कम हो सके. यही वजह है कि बड़ी संख्या में जर्मन कंपनियां भारत की तरफ रुख कर रही हैं और उम्मीद भरी निगाहों से देख रही हैं. आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ सकती है. जर्मन कंपनियों से अगले 6 साल में 4.5 लाख करोड़ निवेश भारत की संभावना जताई जा रही है. यह आंकड़ा अभी से दोगुना है. जानकारों का कहना है कि अगर जर्मनी से बड़ी डील होती है तो मतलब साफ है कि अमेरिका-ब्रिटेन से भी ज्यादा ये देश भारत के काम आ सकता है।
क्यों चीन से निर्भरता कम करना चाहता है जर्मनी?
चांसलर ओलाफ स्कोल्ज का ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब जर्मनी की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल मंदी के दौर से गुजर रही है. इसके साथ ही यूरोपीय संघ और चीन के बीच व्यापार विवाद को लेकर चिंताएं हैं, जो जर्मन कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इससे पहले 2022 में यूक्रेन युद्ध की वजह से जर्मनी को बड़ा झटका लगा था. चूंकि रूस की सस्ती गैस पर जर्मनी की अत्यधिक निर्भरता बढ़ गई थी. उसके बाद जर्मनी ने डि-रिस्किंग की पॉलिसी अपनाई. अब जर्मनी, चीन पर भी अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, चीन अब भी जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है।
क्या होता है IGC?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज भारत दौरे पर पहुंच रहे हैं. वे यहां 7वें अंतर सरकारी परामर्श (IGC) के लिए 24-26 अक्टूबर तक भारत के आधिकारिक दौरे पर रहेंगे. 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर स्कोल्ज 7वें अंतर सरकारी परामर्श में हिस्सा लेंगे. IGC में चांसलर स्कोल्ज के साथ उनके मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्री भी शामिल होंगे. IGC एक ऐसा सरकारी ढांचा है, जिसके तहत दोनों देशों के मंत्री अपने-अपने विभाग के कामकाज पर चर्चा करते हैं और अपने विचार-विमर्श के नतीजों पर प्रधानमंत्री और चांसलर को रिपोर्ट करते हैं।
IGC के तहत दोनों देशों की सरकारें उच्च-स्तरीय बैठकों के जरिए द्विपक्षीय मुद्दों पर नियमित रूप से विचार-विमर्श और सहयोग करती हैं. यह संवाद प्रक्रिया विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने और बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए होती है. इसमें शामिल मुख्य पहलुओं में राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना शामिल होता है।
क्या है जर्मन चांसलर का पूरा कार्यक्रम?
चांसलर स्कोल्ज 24 अक्टूबर को रात 10.55 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे. 25 अक्टूबर की सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात करेंगे. सुबह 11 बजे वे ताज होटल में 18वें एशिया-प्रशांत जर्मन बिजनेस सम्मेलन (APK 2024) का उद्घाटन करेंगे. सुबह 11.50 बजे से हैदराबाद हाउस में फोटो सेशन होगा. उसके बाद दोपहर 12 बजे अंतर सरकारी परामर्श (IGC) में हिस्सा लेंगे. दोपहर 1.15 बजे वे हैदराबाद हाउस में भारत-जर्मनी के बीच समझौतों का आदान-प्रदान करेंगे. जर्मन चांसलर 26 अक्टूबर की सुबह प्लेन से गोवा के लिए रवाना होंगे. शाम 5.30 बजे वे जर्मनी के लिए वापसी करेंगे।
दोनों नेता बढ़ी हुई सुरक्षा और रक्षा सहयोग, प्रतिभा की गतिशीलता के ज्यादा अवसर, गहन आर्थिक सहयोग, हरित और सतत विकास साझेदारी और उभरती और रणनीतिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. चर्चाएं महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी केंद्रित होंगी।
APK, जर्मनी और इंडो-पैसिफिक देशों के व्यापारिक नेताओं, अधिकारियों और राजनीतिक प्रतिनिधियों के लिए एक द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इस कार्यक्रम में जर्मनी, भारत और अन्य देशों के करीब 650 शीर्ष व्यापारिक नेताओं और CEO के हिस्सा लेने की उम्मीद है। चांसलर स्कोल्ज गोवा दौरे पर वहां जर्मन नौसैनिक युद्धपोत बाडेन-वुर्टेमबर्ग और लड़ाकू सहायता जहाज ‘फ्रैंकफर्ट एम मेन’ जर्मनी के इंडो-पैसिफिक तैनाती के हिस्से के रूप में बंदरगाह पर पहुंचेंगे. बताते चलें कि भारत और जर्मनी के बीच साल 2000 से रणनीतिक साझेदारी है. पिछले कुछ वर्षों में यह साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों में गहरी और विविध हुई है. दोनों देश इस वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. रणनीतिक साझेदारी के 25वें वर्ष में चांसलर स्कोल्ज की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तौर पर देखी जा रही है।
चांसलर स्कोल्ज ने पिछले साल दो बार भारत का दौरा किया. फरवरी 2023 में उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया था. उसके बाद सितंबर 2023 में वे जी20 समिट में शामिल होने के लिए भारत आए थे।