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विद्या के सागर से सराबोर शरदोत्सव – देश-विदेश से आए शिष्य,नृत्य नाटिका, प्रदर्शनी का हुआ भव्य आयोजन

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रायपुर। दिगंबर जैनाचार्य ब्रह्मलीन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर के जन्मोत्सव पर भव्य महामहोत्सव शारदोत्सव का आयोजन गुरूवार को हुआ। शहर स्थित दीनदयाल आॅडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में देश-विदेश से अतिथिगण शामिल हुए। गुरू शरणम शारदोत्सव में जहां एक ओर आचार्य विद्यासागर के जीवन-दर्शन पर आधारित शानदार नृत्य नाटिका का मंचन हुआ वहीं उनकी प्रेरणा से देशभर में संचालित विभिन्न प्रकल्पों की मनभावन प्रस्तुतियां दी गई, इस अवसर किए जा रहे विभिन्न क्रियाकलापों की झांकी, प्रदर्शनी लगाई और उनमें तैयार होने पूर्णतः शुद्ध व जैविक उत्पादों को प्रस्तुत किया गया।
दीनदयाल आॅडिटोरियम में हुए शारदोत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. रमन सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य सभा सांसद उत्तरप्रदेश नवीन जैन ने की। राष्ट्रीय, अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष धन्यकुमार जिनप्पा गुंडे, रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, मुख्य सचिव छ.ग. शासन अमिताभ जैन, कुंवर मानवेंद्र सिंह, सभापति उत्तरप्रदेश विधान परिषद, रायपुर पश्चिम के विधायक राजेश मूणत, उद्योगपति बजरंग केडिया, भारत सरकार की नीति आयोग की सदस्य अर्चना जैन विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। मंचस्थ अतिथियों द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया। इस मौके पर मंचस्थ अतिथियों द्वारा मुनि धैर्य सागर द्वारा रचित आचार्य विद्यासागर के समग्र जीवन पर आधारित पुस्तक अंतर्यात्री महापुरूष तथा ब्र. सुनील भैया द्वारा लिखित प्रथम चारित्र चक्रवर्ती शांति सागर महाराज पर आधारित पुस्तक श्रमणत्व के क्षितिज का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि की आसंदी से डाॅ. रमन सिंह ने कहा कि यह गौरवशाली कार्यक्रम कोई सामान्य मंचीय, धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। आचार्य विद्यासागर सभी धर्मों के लिए पूजनीय, सूर्य के प्रकाश की भांति प्रभावशाली व हितकारी रहे हैं। भौतिकतावादी युग में भी धर्म व संस्कृति से जोड़ने के लिए जिस तरह से प्रयास किए जा रहे हैं वह अद्भुत हैं। श्री सिंह ने कहा कि इतिहास को पुनः खंगालने की जरूरत है क्योंकि जैन धर्म अर्वाचीन है, जिस तरह के साक्ष्य व प्रमाण प्राप्त होतेे हैं उससे इस धर्म की महत्ता ज्ञात होती है। जैन धर्म की यश पताका व कीर्ति युगों-युगों तक लहराती रहेगी। अध्यक्षीय भाषण देते हुए नवीन जैन ने कहा कि आचार्य विद्यासागर ने जिस तरह तप आराधना की है वह हम सबके लिए अनुकरणीय है। जैन समाज को उनके द्वारा प्रारंभ किए गए प्रकल्पों को सतत् आगे बढ़ाते रहने का प्रयास करते रहना चाहिए। विशिष्ट अतिथि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री जी विष्णु देव जी के आदेशानुसार जैन समाज के लिए पूर्व में की गई समस्त घोषणाओं को हम पूर्ण करेंगे। छ.ग. शासन जैन समाज के संतों की सुरक्षा करने, गौशाला आदि हेतु भूमि दान करने जैसी समस्त आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इस मौके पर बाल ब्रह्मचारी सुनील भैया ने कहा कि आचार्य गुरू शांतिसागर जैसी चर्या का परिपालन आचार्य विद्यासागर महाराज ने कर धर्म को शिखर पर पहुंचा दिया। गुरूदेव संस्कारों के साथ शिक्षा को प्रदान करने के लिए प्रारंभ किए गए प्रकल्पों को हमें ऊंचाई पर ले जाने के प्रयास करते रहना चाहिए। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आचार्य विद्यासागर की तपश्चर्या से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री सहित देश के प्रमुखजन भी उनका अनुसरण कर उनसे विचार-विमर्श करते थे, यह उनके ही व्यक्तित्व का प्रभाव है। छ.ग. की भूमि पुण्य हो गई है जहां विद्यासागर जैसे त्यागी तपस्वी विश्व गुरू के रूप में यह सदा के लिए स्थापित हो गई हैं। विद्यासागर महाराज पर विद्यापीठ और उनके नाम पर पुरस्कार देने और गौशाला हेतु जमीन देने की घोषणा को हम हर हाल में पूरा करेंगे।

एक दिवसीय शारदोत्सव का आगाज़ संगीतमय आराधना के साथ विशेष भक्तामर पाठ से हुआ। भजन संध्या में सुमुधर गीतों, भजनों व कव्वाली की प्रस्तुति दी गई जिसने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया और करतल ध्वनि से आॅडिटोरियम गुंजायमान हो गया। मुंबई से आईं मधुर आवाज की धनी कलाकार विधि जैन द्वारा जहां पर देवदर्शन हो वहीं भव पार होता है….., मंत्र नमोकार हमें…., जय-जय आदिनाथ जी… जैसे शानदार भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। छ.ग. रत्न से सम्मानित, अब्दुल कलाम सव्य साची पुरस्कार से सम्मानित खुशी जैन व शिष्याओं द्वारा भरतनाट्यम नृत्य कर मंगलाचरण की शानदार प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर बुधवार को संपूर्ण छत्तीसगढ़ के 76 दिगंबर जैन मंदिरों में एक साथ आचार्य छत्तीसी विधान संपादित कर बनाए गए वल्र्ड रिकाॅर्ड का सर्टिफिकेट गोल्डन बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड के पदाधिकारियों द्वारा दिगंबर जैन समाज को प्रदान किया गया। इस अवसर पर आचार्य विद्यासागर के जनकल्याणकारी कार्यों से उपकृृत देश विदेश की संस्थानों के प्रमुखगणों, विद्वानों, चिकित्सकों द्वारा अपने अनुभव साझा किए गए। जिसमें प्रतिभास्थली स्कूल डोंगरगढ़, इंदौर, जबलपुर, इंदौर एवं चल चरखा केंद्रों के ब्र.उन्नति दीदी, ब्र. नीरजा दीदी, ब्र. गुंजन दीदी, ब्र. रूचि दीदी, पूर्व छात्रा आरूषि जैन, श्रमदान एवं अपनापन से ब्र. अंकित भैया, ब्र. अनुराग भैया, दयोदय महासंघ एवं शांतिधारा से कोषाध्यक्ष अभिषेक जैन, महासचिव राकेश जैन, पूर्णांयु संस्थान जबलपुर की छात्रा विभा, वरूणिका, डाॅ. स्वप्निल जैन, भाग्योदय हाॅस्पिटल सागर के डायरेक्टर सौरभ जैन, पाषाण मंदिर के निर्माण से संबंधित मनीष जैन, ब्र. संजीव भैया व मंदिर निर्माण से जुड़ने के बाद शाकाहार को अपनाकर सात्विक जीवनशैली अपनाने वाले शफीक खान ने अपने अनुभव और जीवन में आए परिवर्तनों के बारे में बताया। आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से जीवन परिवर्तित कर हथकरघा के जरिए स्वरोजगार अपनाने वाले कैदियों में से पूर्व कैदी पप्पू अंसारी ने भी अपने विचार एवं भाव व्यक्त किए।

वहीं आयोजन का आकर्षण रहे जबलपुर से आए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त विवेचना रंगमंडल के 30 कलाकारों द्वारा भावभीना व शानदार नृत्य नाटिका का मंचन किया गया। विद्याधर से विधासागर बनने की यात्रा आत्मान्वेषी नामक नृत्य नाट्य की शानदार मनभावन प्रस्तुति दी गई। इस नाटक के लिए 2011 में राष्ट्रपति संगीत अकादमी पुरस्कार से डिजाइन, लाइट, आॅपरेटिव संचालन के लिए पुरस्कृत कमल जैन, लेखक अर्चना मलैया व डायरेक्टर अरूण पांडेय थे। कार्यक्रम का समापन प्रतिक्रमण एवं महाआरती से किया गया। ज्ञात हो कि समाधिस्थ महान आचार्य विधासागर महाराज और नवाचार्य समय सागर दोनों पिता मलप्पा और माता श्रीमती की संताने हैं और दोनों का अवतरण शरदपूर्णिमा को हुआ था। ब्रह्मचारी सुनील भैया की अगुवाई में आयोजित शारदोत्सव में सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष नरेश जैन, विनोद बड़जात्या, मनीष जैन, प्रदीप जैन, अरविंद बड़जात्या, यशवंत जैन, अजय जैन, लोकेश चंद्रकांत, किशोर जैन अध्यक्ष तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़, चंद्रकांत जैन, सुरेंद्र जैन, अरविंद पहाड़िया, दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
इस दौरान आचार्य विद्यासागर द्वारा दी गई संस्कृति व शिक्षा के समन्वय की प्रेरणा से देशभर में संचालित विभिन्न प्रकल्पों की मनोहारी प्रदर्शनी, झांकी, झलकियां लगाई गई। जिसके तहत प्रतिभास्थली विद्यालय, चल चरखा केंद्रों, श्रमदान एवं अपनापन, शांतिधारा, वास्तु, पूर्णांयु आयुर्वेदिक व भाग्योदय एलोपैथिक अस्पताल, दयोदय गौशालाओं के माध्यम से किए जाने वाले कार्यों व उनमें तैयार किए जाने वाले शुद्ध व जैविक उत्पादों को अल्प दरों पर विक्रय हेतु प्रदर्शित किया गया। इसके साथ विद्यासागर महाराज द्वारा आठ भाषाओं में मूकमाटी महाकाव्य, चार खंड काव्य, सात संस्कृत शतक, दस हिंदी शतक, हजार से अधिक हाइकू, सौ से अधिक प्रवचन साहित्य, पच्चीस से अधिक जीवनी प्रकाशन, कुंद कंुद का कुंदन सहित 100 से अधिक रचित ग्रंथों व साहित्यों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस मौके पर विद्यासागर महाराज पर आधारित विशेष डाक टिकटों को भी प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम में मनोहर गौशाला के प्रमुख ट्रस्टी पदम जी डाकलिया ने संरक्षित किए हुए आचार्य महाराज के पगालिया (चरण चिह्न) को जैन भक्तों के लिए दर्शनों हेतु उपलब्ध कराया गया। वहीं दुर्लभ अमूल्य कामधेनु गौमाता के गौ शरण को भी दर्शनों के लिए प्रदर्शनी में रखा गया था जो कि विश्व में सीमित संख्या में हैं जो अतुलनीय सुख-संपदा का दायक होता हैै।