नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काम न करने वालों और करप्ट सरकारी अधिकारियों पर सख्ती अपननाई है. पीएम मोदी ने सभी केंद्रीय सचिवों से नियमों के अनुसार अपने-अपने कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने का आदेश दिया है. उन्होंने ‘सार्वजनिक हित’ में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी बात कही है।
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद अगले ही दिन बुधवार (9 अक्टूबर 2024) को सभी केंद्रीय मंत्रियों और सचिवों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की थी. इस बातचीत में पीएम मोदी ने सीसीएस (पेंशन) नियमों के मूल नियम 56 (जे) का उल्लेख किया।
इस नियम में निर्दिष्ट किया गया है कि ‘उपयुक्त प्राधिकारी’ किसी भी सरकारी कर्मचारी को यदि उसकी राय में वह सेवा में बने रहने के लिए अयोग्य है तो उसे समय से पहले रिटायर कर सकता है. इसी नियम का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने सभी सचिवों ने अपने-अपने विभागों के कर्मचारियों के काम की मॉनिटरिंग करने की बात कही है. अगर किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आती है तो उस पर ऐसी कार्रवाई हो सकती है.
सूत्रों के मुताबिक, पीएम ने मंत्रियों और सचिवों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि सुशासन और विकास कार्यों का इनाम लोग देते हैं. उन्होंने इस बात के लिए हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक और जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन का उदाहरण दिया. उन्होंने सचिवों और मंत्रियों से कहा कि जन शिकायतों का व्यापक और त्वरित समाधान करें, न कि फाइलों को एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर धकेलें।
उन्होंने सचिवों से शिकायतों के समाधान के लिए हर हफ्ते एक दिन निकालने और राज्य मंत्रियों से उनकी निगरानी करने को कहा. इस दौरान पीएम ने कहा कि पिछले 10 साल में पीएमओ को लोगों की शिकायतों सहित 4.5 करोड़ शिकायती पत्र मिले हैं, जबकि यूपीए सरकार के कार्यकाल के आखिरी 5 साल में सिर्फ 5 लाख ऐसे लेटर मिले थे।