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आग से अधिक घातक चिंगारी है,न चिंगारी होगी न आग लगेगी। पत्रकारिता समाज का दर्पण,इस आदर्श में गिरावट मगर विलुप्त नहीं। मुनि पुंगव श्री सुधा सागर महाराज

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सागर। वेदचन्द जैन। आग से अधिक घातक चिंगारी है,आग सबको दिखती है चिंगारी दिखाई नहीं देती। चिंगारी बुझा दो आग लगेगी ही नहीं। मुनि पुंगव निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज ने चेतावनी देते हुए कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के संघ को विवादित करने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का संघ एक था,एक है और एक रहेगा।
मध्यप्रदेश के सागर नगर में जिज्ञासा समाधान सभा में एक प्रश्नकर्ता की जिज्ञासा का समाधान करते हुए मुनि पुंगव निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज ने कहा कि हमारे संघ में भेद कराने के लिये कुछ षड्यंत्रकारी सोशल मीडिया वाट्सएप का दुरुपयोग कर समाज को विषाक्त करने का दुष्कर्म करते हैं।पूरे संदर्भ से एक अंश निकालकर वाट्सएप बनाते हैं और संघ के अन्य मुनियों को वहीं अंश दिखा सुनाकर भेद डालने का यत्न करते हैं। महाराज जी ने स्पष्ट कहा कि ऐसी विभाजन कारी मानसिकता कभी सफल नहीं हो सकती।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने मुनियों की जन्म जयंती मनाने के किसी भी उत्सव के प्रति अपनी असहमति जताई थी। उन्होंने 1996 में ही बता दिया था कि मुनियों का जन्म जयंती मनाना मिथ्यात्व है। हम शिष्यों को श्रावकों द्वारा आयोजित ऐसे किसी भी कार्यक्रम या उत्सव से स्वयं को पृथक रखना चाहिए। मैंने कक्ष में इस संबंध में प्रश्नकर्ता को ये समझा दिया था तब ये प्रश्न सार्वजनिक मंच से क्यों किया गया। इस प्रश्न पर मेरा उत्तर जानते हुये भी ये प्रश्न सार्वजनिक सभा में पूंछकर मेरी छवि को जन्म जयंती उत्सव विरोधी सिद्ध करने का षड्यंत्र करना प्रश्नकर्ता की मंशा है।
ऐसे विघ्नकर्ता ही आग के श्रोतरूपी चिंगारी हैं। विवाद की आग को रोकने या बुझाने से बेहतर है चिंगारी को ही ठंडा कर दिया जाए। न चिंगारी होगी न आग लगेगी। मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज ने कहा कि हम मुनियों की छवि धूमिल करने से हमारी छवि धूमिल नहीं होगी वरन् चिंगारी स्वयं अपनी ही लगाई आग से झुलस जायेगें। सागर समाज के ये मुट्ठी भर तत्व पूरे समाज को दूषित नहीं कर सकते। सागर समाज एक थी,एक है और एक रहेगी, क्योंकि ये चेहरे पहचान लिये गये हैं।
एक अन्य जिज्ञासा का समाधान करते हुए मुनि पुंगव श्री सुधा सागर महाराज ने कहा कि पत्रकार समाज का दर्पण होता है। पक्षपात करने वाला कभी समाज का दर्पण नहीं हो सकता।
वर्तमान में पत्रकारिता को दूषित किया जा रहा है किंतु संख्या में कम ही सही पत्रकारिता के आदर्शों का पालन कर समाज के दर्पण को स्वच्छ रखने वाले पत्रकार अभी शेष हैं। समाज को स्वस्थ रखने वाले पत्रकार विलुप्त नहीं हुये हैं।