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एसीएस रेणु पिल्ले करेंगी अब पाठ्य पुस्तक निगम के घोटाले की जांच, पुरानी जांच कमेटी सवालों के घेरे में

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रायपुर। पाठ्य पुस्तक निगम के पुस्तकों के कबाड़ में पाए जाने के मामले की जांच अब छत्तीसगढ़ की दूसरे नंबर की सबसे सीनियर आईएएस रेणु पिल्ले करेंगी। सरकार ने उन्हें इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। जाहिर है, विष्णुदेव साय सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। वरना, रेणु पिल्ले को इसकी जांच के लिए नहीं चुना जाता।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद पिछले 24 साल से पाठ्य पुस्तक निगम में किताबों की अफरातफरी का खेला चल रहा था। लाखों की संख्या में या तो एक्स्ट्रा किताबें छपवा ली जाती थी या फिर कागजों में उसे प्रकाशित कर पाठ्य पुस्तक निगम के खटराल लोग करोड़ों रुपए अंदर कर लेते थे। मगर इस बार इसका भंडाफोड़ होने के बाद पाठ्य पुस्तक निगम का आरगेनाइज घोटाला सतह पर आ गया। दरअसल, सिलयारी के एक पेपर मिल के कबाड़ में वर्तमान सत्र 2024-25 की किताबें पाई गई। इसके बाद हडक़ंप मच गया। चूकि इस समय स्कूल शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के पास है, लिहाजा सिस्टम हरकत में आया और जांच प्रारंभ कर दी गई।
हालांकि, जल्दबाजी के चक्कर में पाठ्य पुस्तक निगम के एमडी को ही जांच कमेटी में शामिल कर दिया गया। किसी भी निगम का एमडी सर्वेसर्वा होता है। कोई गड़बड़ी होती है, तो उसकी भी जिम्मेदारी बनती है। मगर वही अगर जांच करेगा तो फिर नि:पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उधर, पाठ्य पुस्तक निगम के जिस महाप्रबंधक प्रेमप्रकाश मिश्रा को जांच कमेटी में रखा गया था, सरकार ने उसे प्रारंभिक तौर पर जिम्मेदार मानते हुए बाद में सस्पेंड कर दिया। जांच कमेटी के तीसरे सदस्य रायपुर के ज्वाइंट डायरेक्टर शिवहरे बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गए। जाहिर है, इसके बाद जांच कमिटी का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इसके बावजूद आश्चर्य यह है कि जांच आयोग ने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
विवादों में आ जाने के बाद भी पाठ्य पुस्तक निगम के एमडी की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी ने इस गड़बड़झाले की जांच क्यों की…यह अलग प्रश्न है। मुख्य बात यह है कि सरकार ने वास्तविकता को समझते हुए और बडी कमेटी बनाते हुए छत्तीसगढ़ की दूसरी सबसे सीनियर आईएएस अधिकारी रेणु पिल्ले को जांच की कमान सौंप दी। रेणु पिल्ले से सरकार ने सात बिंदुओं में जवाब मांगा है। उसमें प्रमुख यह है कि इस गड़बड़ी के लिए कौन अधिकारी, कर्मचारी जिम्मेदार हैं। उनसे 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। रेणु पिल्ले के बारे में माना जाता है कि वे अपनी भी नहीं सुनती। ऐसी अफसर को सरकार ने अगर जांच का दायित्व दिया है तो समझा जाता है कि सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने के प़क्ष में है। पिल्ले कमेटी की जांच के आदेश से यह पता चलता है कि सरकार पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा पुस्तकों के प्रकाशन को आगे से फुल प्रूफ करना चाहती है। लिहाजा, रेणु पिल्ले से सुझाव भी मांगा गया है। जांच में उन्हें यह भी पता लगाना है कि क्या पहले भी इस तरह का खेला होता था पाठ्य पुस्तक निगम में।