Home रायपुर शोभायात्रा, प्रतिक्रमण के साथ पर्यूषण का हुआ समापन

शोभायात्रा, प्रतिक्रमण के साथ पर्यूषण का हुआ समापन

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वासुपूज्य भगवान को चढ़ाया गया निर्वाण कल्याणक लाडू

रायपुर। आराधना, भक्ति, तपस्या के दस दिनों के दशलक्षण पर्यूषण पर्व का भव्य समापन अनंत चतुर्दशी महोत्सव से हो गया। सुबह से लेकर रात्रि तक भक्तिमय कार्यक्रमों की श्रृंखला में साधक समर्पण भाव से जुटे रहे। पयूर्षण पर्व के अंतिम दिन श्री 1008 वासुपूज्य भगवान के मोक्षकल्याणक दिवस के अवसर पर विशेष रूप से तैयार करके लाए गए निर्वाण लाडू चढ़ाए गए। ब्रह्मचारी अरूण भैया के निर्देशन में सामूहिक संगीतमयी पूजन आराधना प्रमुख चार इंद्रों के माध्यम से कराई गई। दोपहर को श्री 1008 वासुपूज्य भगवान की भव्य शोभायात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। जिसमें केसरिया परिधान में महिलाएं व श्वेत वस्त्रों में पुरूष नृत्य, आरती, भक्ति करके धर्म की प्रभावना करते रहे। शोभायात्रा में विशेष रथ पर सवार 10 दिनों तक निराहार उपवास कर तपस्या करने वाली कामाक्षी जैन का सम्मान किया गया। शोभायात्रा का समापन डीडी नगर काॅलोनी के प्रमुख मार्गों व गोल चैक होते हुए जैन मंदिर में हुआ। इसके बाद स्वर्ण कलशों के द्वारा मंदिर में स्थापित मूलनायक वासुपूज्य भगवान, श्री पाश्र्वनाथ भगवान, श्री पद्यप्रभु भगवान का महामस्तिकाभिषेक सहित विराजित 12 भगवानों का विशेष मंत्रोच्चारण के साथ शांतिधारा हुई जिसके गंधोदक लेने भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। आखिरी दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के बारे में समाज को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी अरूण भैया ने कहा कि आत्मा के निकट रहना ही ब्रह्मचर्य है। हमें स्वयं को संयमित करते हुए जल से भिन्न कमल की भांति संसार में रहकर आत्मा के कल्याण के लिए सदा प्रशस्त रहना चाहिए। रात्रि में सौ दीपों के माध्यम से मंगलमय महाआरती में भक्तों ने झूमते हुए भगवान की आराधना की। वर्षभर में मन, वचन और काया से जाने-अनजाने में किए गए समस्त जीवों की विराधना करने, उनका घात करने के लिए पश्चाताप करने हेतु प्रतिक्रमण कराया गया। सामूहिक प्रतिक्रमण में की गई गलतियों, अपराधों के लिए क्षमा मांगी गई और इसे न दोहराने का संकल्प दिलाया गया। प्रातः विशेष क्षमावाणी पूजन करके समाज के लोगों ने अपने दोषों को क्षमा करने के लिए एक-दूसरे से माफी मांगी।