लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला से भी करेंगे भेंट
8 सितम्बर को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज से दिल्ली सिंधी समाज की होगी भेंटवार्ता
रायपुर। इस बार श्रीज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज का चातुर्मास व्रत महोत्सव आगामी 17 सितम्बर तक दिल्ली में आयोजित है। उनके चातुर्मास व्रत महोत्सव के अंतर्गत गत् वर्ष ब्रह्मलीन हुए उनके पूज्य गुरुदेव, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का 6 सितम्बर को जन्म शताब्दी समारोह आयोजित किया गया है। स्थानीय मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु ५ सितम्बर को प्रातः 5 बजे दिल्ली पहुंचेंगे। दिल्ली में वे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी मिलेंगे। साईं मसन्द कोटा राजस्थान के एक धार्मिक कार्यक्रम में हर साल विशिष्ट अतिथि रहते हैं, जहां उनकी श्री ओम बिरला से भेंट होती रही है।
उल्लेखनीय है कि 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के समय से अब तक देशहित में निरंतर सक्रिय रहने वाले सिंधी समाज के विख्यात संत साईं मसन्द का महान स्वतंत्रता सेनानी रहे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज से सन् 1969 से आत्मीय सम्बन्ध रहे हैं। वे उनके अंतिम समय में भी नरसिंहपुर जिले में स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में उपस्थित थे। उनके उत्तराधिकारी शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज से भी उनके लगभग 8 वर्षों से बड़े आत्मीय सम्बन्ध हैं। साईं मसन्द 12 वर्षों से शंकराचार्यों एवं अन्य बड़े संतों के सहयोग से देश में सर्वजन हितकारी वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन की स्थापना करवाकर भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का अभियान चला रहे हैं।
दिल्ली में वे एक सप्ताह शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज के अतिथि रहेंगे। वहां से वे सिंधी समुदाय के महान संत सखीबाबा आसूदाराम साहिब जी के वर्सी महोत्सव में शामिल होने 12 सितम्बर को लखनऊ जाएंगे। इसके पहले रविवार 8 सितम्बर को वे दिल्ली स्थित सिंधी समुदाय की सभी पूज्य सिंधी पंचायतों, समाजसेवी संस्थाओं, झूलेलाल मंदिरों आदि के प्रमुख पदाधिकारीयों एवं वरिष्ठ सिंधी पत्रकारों आदि की शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज से उनके चातुर्मास व्रत स्थल नरसिंह सेवा सदन पीतमपुरा में प्रातः साढ़े ग्यारह बजे सौजन्य भेंटवार्ता कराएंगे। इन सबके दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी उन्होंने वहीं शंकराचार्य महाराज के यहां रखवाई है।