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पार्श्वनाथ कथा : इंसान में जीव के मोह जागृत रहेंगे, उन्हे सत्य-असत्य नजर आता रहेगा – मुनि प्रणम्य सागर

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जिन धर्म सेविका श्रीमती सुशीला पाटनी (आरके मार्बल) का ” व्रत गुण शीला उपाधि से हुआ सम्मान

जयपुर। राजधानी में पहली बार चातुर्मास कर रहे आचार्य विद्या सागर महाराज के शिष्य अर्हं ध्यान योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज महाराज ससंघ के सानिध्य में मानसरोवर के मीरा मार्ग स्थित आदिनाथ भवन में चल रही ” पार्श्वनाथ कथा ” के दौरान गुरुवार को मुनि श्री ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा की ” व्रत और शील से जो युक्त होता है वो ही सम्मान पाने के लायक होते है। बारह भावनाओं के मर्म को समझाते हुए मुनि श्री ने कहा कि इंसान में जब तक जीव के मोह जागृत रहेंगे, उन्हे सत्य-असत्य नजर आता रहेगा, दुख देने वाले सुख देने वाले लगते है, अहितकारी-हितकारी नजर आने लगते है। सिर्फ निर्गंथ गुरु और जिनवाणी सत्य सुना सकती है। बारह भावनाओं में आज छः भावनाएं अनित्य-अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व एवं अशुचि भावनाओं पर आशीर्वचन दिए।
मंत्री राजेंद्र कुमार सेठी ने जानकारी देते हुए बताया की गुरुवार को पार्श्वनाथ कथा का शुभारभ जिन धर्म सेविका और व्रत श्रेष्ठी सुशीला पाटनी (आर के मार्बल) द्वारा चित्र अनावरण, दीप प्रवज्जलन, पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट कर किया गया। इस दौरान महिला जागृति परिषद की अध्यक्षा सुशीला रावंका और मंत्री रश्मि सांगानेरिया सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा जिन धर्म सेविका सुशीला पाटनी का दुप्पटा पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया। इस मौके पर संरक्षक निशा पहाड़िया द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया और पंडित शीतल प्रसाद, समाजश्रेष्ठी नन्द किशोर प्रमोद पहाड़िया द्वारा ” व्रत गुण शीला की उपाधि ” का प्रशस्ति चिन्ह भेंट किया गया।
दशलक्षण पर्व 8 से- होगा दस दिवसीय विधान पूजन, दो हजार श्रद्धालु लेगे भाग
कोषाध्यक्ष लोकेंद्र जैन राजभवन वाले ने बताया कि जैन धर्म में दशलक्षण पर्व अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है, यह दशलक्षण पर्व 8 सितंबर से प्रारंभ होकर 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर संपन्न होगे, चौदस और पूर्णिमा एक तिथि होने पर दोनो पर्व 17 को ही संपन्न होगे, इसके पश्चात जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत ” जिओ और जीने दो ” चरितार्थ करने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व ” क्षमावाणी ” 18 सितंबर को अर्हं ध्यान योग प्रणेता मुनिश्री प्रणम्य सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में मनाया जायेगा। दस दिवसीय दशलक्षण पर्व के दौरान प्रतिदिन प्रातः 5 बजे योग साधना, 6 बजे से 7 बजे तक मुनि प्रणम्य सागर महाराज के प्रवचन, 7 बजे से श्रीजी का कलशाभिषेक, शांतिधारा एवं दशलक्षण पर्व दस धर्मों पर आधारित विधान पूजन, दोपहर 1.30 बजे स्वाध्याय, 4 बजे प्रतिक्रमण, शाम 6 बजे श्रीजी की महामंगल आरती, 7 बजे से 8 बजे तक विद्वानों द्वारा स्वाध्याय और रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन प्रतिदिन दस दिनों तक आयोजित होगे।
जयपुर मंदिर दर्शन यात्रा 22 सितंबर से, मुनि श्री के सानिध्य में श्रद्धालुगण करेंगे सभी जैन मंदिरों के दर्शन
आयोजन से जुड़े हुए विनोद जैन कोटखावदा एवं अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि दशलक्षण पर्व के समापन के पश्चात मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ सानिध्य में रविवार 22 सितंबर से जयपुर के समस्त दिगम्बर जैन मंदिरों की दर्शन यात्रा प्रारंभ होगी, इस यात्रा में समाज के श्रद्धालुगण भी सम्मिलित होगे और मंदिरों के दर्शन करेगे। यह यात्रा 10 नवंबर तक आयोजित होगी।
एक दिवसीय अर्हं ध्यान योग शिविर 2 अक्टूबर को, देशभर से जुटेंगे 15 हजार श्रद्धालु
अध्यक्ष सुशील पहाड़िया ने जानकारी देते हुए बताया कि राजधानी जयपुर में अर्हं ध्यान योग प्रणेता मुनिश्री प्रणम्य सागर महाराज ससंघ सानिध्य में पहली बार ” एक दिवसीय अर्हं ध्यान योग शिविर ” का भव्य आयोजन 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को एसएमएस स्टेडियम पर आयोजित होगा, यह पहला अवसर है जब किसी दिगंबर जैन संत के सानिध्य में एसएमएस स्टेडियम पर इस तरह का आयोजन किया जायेगा। 2 अक्टूबर को शिविर का शुभारंभ प्रातः 5.30 बजे से आयोजित होगा जो 7.30 बजे संपन्न होगा। इस दौरान केवल जयपुर से ही नही बल्कि संपूर्ण राजस्थान के अतिरिक्त दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र इत्यादि स्थानों से जैन समुदाय से नही बल्कि संपूर्ण समुदाय के 15 हजार से अधिक श्रद्धालुगण ” अर्हं ध्यान योग ” में भाग लेंगे।
पत्रकार वार्ता में मंत्री राजेन्द्र सेठी, कोषाध्यक्ष लोकेन्द्र जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील बैनाडा, विनोद जैन कोटखावदा, राकेश गोदिका, राजा बाबू गोधा, अभिषेक जैन बिट्टू, अमन जैन, एडवोकेट राजेश काला, अशोक छाबड़ा, विजय झांझरी, जिनेन्द्र काला सहित बडी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।