• नृत्य और संगीत से जुड़े प्रतिभागी सीख रहे हैं सूर और नृत्य-भाव की बारीकियाँ
• कार्यशाला में गायन और नृत्य प्रेमी ले रहे हैं भाग
रायपुर। आंजनेय विश्वविद्यालय के सिटी कैम्पस में शुक्रवार को तीन दिवसीय स्वर साधना कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला की थीम “रिदम्स ऑफ इंडिया” रखी गई है। कार्यशाला में वॉयलिन और सूर विशेषज्ञ प्रो.(डॉ.)एम श्री राम मूर्ति ने प्रतिभागियों को सूर और वॉयलिन के विषय में गहराई से जानकारी प्रदान की। उन्होंने वॉयलिन बजाने की तकनीक, सूर के महत्व और पहचान के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया। प्रतिभागियों ने इस सत्र के दौरान वॉयलिन बजाने की बारीकियों और सूर के विभिन्न पहलुओं को समझा। डॉ.मूर्ति ने अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करते हुए प्रतिभागियों को वॉयलिन और सूर के संगम का अद्भुत अनुभव कराया।
वहीं तबला वादक गुरू बी शरत ने तबला बजाने की कला में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने तबले की विविध तालों और लयबद्धता पर जोर दिया। साथ ही तख्त और अंगी के विभिन्न तकनीकों को दर्शाया। बी शरत ने प्रतिभागियों को तबला की बारीकियों और तासीर को समझाने के लिए व्यावहारिक उदाहरण दिए और अभ्यास के दौरान सही तकनीक पर जोर दिया।
कथक नृत्य कलाकार प्रगति पटवा ने घुँघरू के महत्व एवं नृत्य की विभिन्न शैलियों के बारे में प्रतिभागियों को समझाया। साथ ही नृत्य की बारीकियों, मुद्राओं और भावनात्मक अभिव्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास करवाया।
कुलपति डॉ.टी रामाराव ने बताया कि प्रत्येक विधा के लिए विषय विशेषज्ञ प्रतिभागियों को अपनी-अपनी विधा में गहन अभ्यास और प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। यह कार्यशाला 28 जुलाई तक चलेगी।
कार्यशाला के शुभारंभ के दौरान डायरेक्टर जनरल डॉ.बीसी जैन,प्रति कुलपति सुमीत श्रीवास्तव,डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर डॉ.प्रांजलि गनी एवं कार्यक्रम की संयोजिका एवं संकायाध्यक्ष डॉ.रूपाली चौधरी उपस्थित रही । कार्यशाला में गायन प्रेमी और विद्यार्थी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।