पारडा ईटीवार | सिद्धांत चक्रवर्ती वैज्ञानिक धर्माचार्य कनकनंदी गुरुदेव ने पारडा ईटीवार से अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में शिशिर राय की जिज्ञासा का समाधान करते हुए बताया कि जिज्ञासा करना महान तप है l न्याय दर्शन संपूर्ण हिंदू दर्शन में प्रमाणिक हे l जैन दर्शन का मूल सूत्र सम्यकदर्शनज्ञान चरित्राणी मोक्षमार्ग है।
आचार्य श्री ने न्याय दर्शन से बताया कि तत्वज्ञान प्राप्त होने से मिथ्या ज्ञान दूर हो जाता है l मिथ्या ज्ञान मिटने से राग द्वेष का नाश होता है l पूर्व उपार्जित कर्म को प्रारब्ध कहते हैं l एक-एक आत्म प्रदेश में अनंतानंत कर्म परमाणु बंधते हैं l कर्म नहीं होता तो प्रारब्ध नहीं बंधता प्रारब्ध नहीं तो जन्म मरण नहीं होता l जन्म मरण ही दुख रूप है l विज्ञान में भी सिद्ध हो गया है की सबसे अधिक दुख जन्म के समय उसके बाद हड्डी टूटने पर, मरण पर भी दुख होता है l इसलिए मरण से सब घबराते हैं डरते हैं l जन्म मरण मिटाने को ही मोक्ष कहा गया है l जैन धर्म के द्रव्य संग्रह के अनुसार संपूर्ण कर्म के क्षय से मोक्ष होता है l जो आत्म स्वभाव से कर्मों का क्षय होता है उसे भाव विशुद्धी भाव मोक्ष कहते हैं l 13 गुणस्थान में भाव मोक्ष होने पर तीर्थंकर बनते हैं l
जो रियल धार्मिक है वह पूर्ण स्वतंत्र है अन्य कोई स्वतंत्र नहीं l मुनि श्री सुविज्ञ सागर जी ने तू ही तेरा परम सत्य है अन्य सब सहयोग है कविता द्वारा मंगलाचरण किया l