सिद्ध चक्र महामंडल विधान में आज रिद्धियो के 64 अर्ध समर्पित किए गए…
भाटापारा | श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर भाटापारा में बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया जी बाल ब्रह्मचारी राजकुमार भैया जी के मंगल सानिध्य में सिद्धों की आराधना का महापर्व श्री 1008 सिद्ध चक्र महामंडल विधान संपन्न किया जा रहा है। प्रातः काल भगवान की प्रतिमा पांढुक शिला में विराजमान कर भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा संपन्न की गई ।शांति धारा करने का सौभाग्य श्री अभिनव सुरभि मोदी ,श्रीमती बीना गौरव गदिया, श्री पंकज गदिया को प्राप्त हुआ। शांति धारा के पश्चात श्री जी की मंगल आरती एवं नमोकर मंत्र की जप माला का कार्य संपन्न हुआ।
आज 64 रिद्धियो के अर्घ समर्पित किए गए …..
श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान में क्रमशः 8 ,16, 32,64, 128, 256, 512,और अंतिम दिन 1024 अर्ध समर्पित किए जाते हैं। आज 64 ऋद्धियों के अर्ध समर्पित किए गए ।आज सिद्ध चक्र महामंडल विधान का विशेष दिन होता है, सभी ऋद्धियो के बारे में विद्वान के द्वारा पूर्ण रूप से व्याख्या की जाती है ,आज बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया जी के माध्यम से समस्त जैन समाज को उन 64 ऋद्धियों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। तीर्थंकर भगवान ,आचार्य ,उपाध्याय ,मुनि साधु परमेष्ठी ,के द्वारा अपने तप के माध्यम से ज्ञान के माध्यम से अर्जित की जाती है। उन रिद्धियो के माध्यम से जो पूर्व में कार्य हुए हैं उनकी सारी जानकारी आज ब्रह्मचारी भैया जी के माध्यम से प्राप्त हुई। बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया जी ने बतलाया की सिद्ध चक्र महामंडल में जो विद्यार्थी, गर्भवती महिलाएं अर्ध चढ़ाती हैं, उनके बुद्धि का विकास होता है। पति-पत्नी अर्ध चढ़ाते हैं उनकी कठिनाइयां कम होती है। विधान में अर्ध चढ़ाने से सभी कष्ट का निवारण होता है। इसलिए हर जैन परिवार को इस विधान में शामिल होकर अर्ध जरूर समर्पित करना चाहिए।
श्री दिगंबर जैन परवार पंचायती मंदिर की बेदी में भगवान की प्रतिमा के उपर चांदी के छत्र एवं सिंहासन हेतु भैया जी के माध्यम से जैन समाज के श्रावकों ने अपनी स्वीकृति प्रदान की |
आज 64 रिद्धियो का महाअर्ध जयमाला के पश्चात श्रीमती सुमन लता प्रकाश ,अनिल ,आलोक, सुरेश, विनोद मोदी ,अभिषेक मोदी , रजनी, नेहा, सुरभि, अभिनव ,अभिनंदन,सुमन अंशु ,अरिंजय, आदि ,अक्षत, रोशनी आर्नव,अनायशा, गुड़िया सेवंती,एवं समस्त मोदी परिवार के द्वारा समर्पित किया गया।
बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया ने जी ने प्रवचन में बतलाया कि मनुष्य सुनो दुनिया की सब चीज छूट जाए तो छोड़ देना पर धर्म नहीं छोड़ना, धर्म गया तो सब गया ,धर्म बचा तो सब बचा रहेगा, भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद जब जैन समाज के हीरे सोने के व्यापारी पाकिस्तान सेभारत वापस आ रहे थे, तो वहां के मंदिर की प्रतिमाओं को भारत लाना था, घर मकान बंगला कोठी सब छोड़ कर आ रहे थे ,पर बोले हम भगवान को भारत जरूर लेकर जाएंगे,एक समय आया कि उनके जहाज में वजन ज्यादा होने के कारण उन्हें अपने सब सामान छोड़ने पड़े, अंत में भगवान की बारी आई, उनके पास हीरे जवाहरात सोना चांदी और भगवान की प्रतिमा बची थी, तब उन्होंने हीरे जवाहरात सोने चांदी सब समुद्र में डाल दिए ,और भगवान की प्रतिमा को लेकर के भारत आ गए ,आज भी वह मंदिर वह प्रतिमा मुल्तानी मंदिर के नाम से जयपुर में विद्यमान है।